SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 451
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोप्टक नं० ५७ अकषायों में २० उपयोग ज्ञानोपयोग ५. दर्शनोपयोग ४ ये जानना (१) मनुष्य गति में ७.२ केभंग कानं०१८ देखो सारे भंग १ उपयोग सारे भंन । १ उपयोग कोनं०१८ देखो कोनं०१५ देखो कुअवधि जान, मनः पर्ययको० नं०१८ देखो कोनं०१८ देखो नान ये २ घटाकर (2) (१) मनुप्य गनि में २ का भंग को० नं० १८ देखो सारे भंग १प्यान | नारे भंग । १व्यान को न १८ देखो कोन १८ देतो मुम्म विया प्रनि पाति को नं. १: देखो कोनं०१८ देखो १का भंग कोनं०१५ देखो | मारे. मंग । १ भंग २१ ध्यान पृथक्त्व वितर्क विचार१ (१) मनुष्मति में एकत्ल वितर्क विचार, १-१-१-१ के भंग १. सूक्ष्म क्रिया प्रति- | कोनं०१८ देखो पाति १, प्यूपरन क्रिया भिवनिनी १ ये सुपर ध्यान जानना २२ प्रायव ११ ऊपर के योग स्थान के ग्रौ० मिन काययोग : योग (११) जानना कार्माण काययोग १ ये २ घटाकर (8) (१) मनाय गति में १-५-३-० के मंग को० नं.१% देखो २३ भाव उपशम मम्पकम, (२) मनुष्य पनि में । उपशमचारित्र, क्षायिक २०-२०-१४-१५ के भंग भाव, जान ४, दर्शन को नं०१८ देखो ३, क्षयोपशम लब्धि ५, शुक्ल लेश्या १, मनुष्प गति !, अजान १, मसिद्धत्व १, जीवत्व' भव्यत्व १ ये (२६) | मारे मंग | १ भंग को नं. १८ देखो कोन०१८ देखो सारे मंग १ मंग चौर मिश्रकाययोग १ कार्माग काययोप ये २ प्रोग जानना सारे भंग भंग | (१) मनुष्य गति में को.नं. १५ देखो कोनं०१८ देखो २-1 के भंग कोलनं० १८ देखो सारे भंग भंग को. २०१८ देसो कोनं-१५ देखो उपगम सम्यक्त्व १ उपशम चारित्र १, मनः पर्यय ज्ञान .. ये घटाकर (२) (1) मनुप्य गति में १४ का भंग कोः नं.१८६सो सारे मंग . मारे भंग १ भंग को न०१८ देखो को १८ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy