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________________ तोस स्थान दर्शन १४ दर्शन को० नं० ५४ देखो २५ व्या को० नं० १ देखो १६ भव्यत्व को० नं० ५४ देखो १७ सम्यक्त्व को० नं० १६ देखो १८ संजी २ | S 1 संजी, मसी १६ आहारक २ । आहारक, अन हारक २० उपयोग o को० नं० ५४ देखो २१ ध्यान | ५२ १३ को० नं० ५४ देखो २२ प्राव मिथ्यात्व ५ प्रविरत | १२, योग १५, कमाय २० ( हास्यादि ६ I नोकषाय में से जिसका विचार करो प्रो छोटकर शेष ५ घटाकर २० जनना) ये ५२ मास्रव जानना ३ १ भंग को० नं० ५४ के समान को० नं० ५४ देखो ) भंग को० नं० ५४ देखो १ भंग को० नं० ५४ देखो १ मंग ५४ देखो को० नं ६ को० नं० ५४ के समान २ को० नं० ५४ के समान ६ को० नं० ५४ के समान जानना २ को० नं० ५४ के समान १ को० नं० ५४ के समान to को० नं० ५४ के समान को० नं० ५४ के समान YE . १, १. श्री मिथकाययोग १, ३० आहारक कामस्य काययोग १ ये ४ घटाकर (४८) (१) नरक गति में " " " ( ४१० ) कोष्टक नं० ५६ १ मंग को० नं० ५४ देखो १६ के ४६-४४-४० के हरेक मंग में से हास्यादि ६ नो कषाय में से जिसका विचार करे मी १ छोड़कर शेष १ दर्शन ६ को० नं० ५४ देखो को० नं० ४ देखो १ लेश्या I को० नं० ५४ देखो | को० नं० ४ देखी १ अवस्था को० नं० ५४ देखी I १ को० नं० २४ देखो सारे भंग ४४-२६-३५ के मंगको० नं० [को० नं० १६ देखी १ सम्यक्त्व को० नं० ५४ देखो 1 १ भंग को० नं० ५४ देखो सारे भंग को० नं० ५८ देखो सारे मंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना १ अवस्थः को० नं० ५४ देखो | १ को० नं० ४ देखो १ उपयोग को० नं० १४ देखो · १ ध्यान को०नं ५४ देखो १ भंग अपने अपने स्थान के सारे मंत्रों में | से कोई १ मंग ! १ मंग फो० नं० १६ देखो को० नं० १४ देख ५. मिश्र घटाकर (५) को० नं० ५४ देखो | २ को० नं० ४ देखी २ नं० ५४ देखो हास्यादि छह नोकषायों में को | १ अवस्था १ भंग को० नं० ४४ देखो को० नं० ५४ देखो १ भग १ अवस्था को मं० ५४ देखो को० नं० ५४ देखो १ भग १ उपयोग को० नं ५४ देखी फोन० ४४ देखो सारे भग १ ध्यान को० नं० ५८ देखी का०नं० ५४ देखो सारे भंग १ भंग मनोयोग ४. वचनयोग ४ सिवत् जानना गर्याशत्रत जानना I श्री० काययोग १, १४ | वं० काययोग १, आहारक काययोग १. मे ११ घटाकर ६४१) | (१) नरक गति में | ३७-२५ के भंग को० नं० १६ के ४२-४३ के हरेक भंग में से पर्यावत् प ५ कपाय घर ३७२८ के भंग जानना ८ को० नं० ५४ देखी 19 ११ को० नं० ५४ देखी १ दर्शन को० नं० ५४ देखो १ लेश्या को० नं० ५४ देखो १ अवस्था | को नं० ५४ देखो १ सम्ययस्व १ भंग को० नं० ५२ देखो १ भंग को० नं० ५४ देखो १ मंग को० नं० ४ देखो सारे भंग को० नं० ५४ देखी को देखो I सारे भंग १ भंग [को० नं० १६ देखी [को०० १६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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