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________________ !तीस स्थान दर्शन . ... कोष्टक २०५६ हास्यादि छह नोकषायों में से ऊपर के समान शेष ५ नो कपाय घटाकर २. नोकषाय घटाना - १८-२०-२०-१८-२०१८-२०-२०-१६-१२ १२-१४ के भग जानना । १६-१५ के भंग जानना (३) मनुष्य गति में गारे भंग १ मंग ३) मनुष्य गति में । सारे भंग । १ भंग २०-११-६-१३-१४ को नं. १८ देखो को००१८ देखो २०-१६-१२-६-६-६-को.नं. १५ देखो को.नं०१८ देखो| के अंग को न०१८ के १९-१५ के मम | २५-१९-११-२४-१६ । को००१८ के २५-- के हरेक भंग में में पर्याप्तवन २१-१७-१३-११-१३ नोकपाय शे ष५ घटाकर ! २४-२० के हरेक भंग ००-१४-१-१६-१४ । में में ऊपर के समान के भंग शेष ५ नोकवाय घटाकर (४) देवगति में सारे मंग १ भंग २०-११-१२-८-६-६ १३-११-१४-१८-१४.. को नं. १६ देशो कोनं० १९ देखो १९-१५ के भंग जानना १४ के भंग का नं०१६ (४) देवगति में सारे भंग १ भंग के २४-१९-०३-१६१४-१५-१०-१४-१४ को नं. १६ देखो कोनं०१६ देखो १६ के हरेक मंग में में के भंग को.नं. १६ पर्याप्तवन शेष ५ नोकपाय २४-२०-२३-१६-१६ घटाकर ११-११-१४के हरेक भंग में से ऊपर के १८..१४-१४ के भंग ममान ५ पेष नोकपाय । जानना घटाकर १६-१५-१-१४. १४ के भंग जानना १२शान । सारे भंग १जान १ मंग ज्ञान कोनं. ५४ देखो। कोन० ५४ के समान को नं० ५४ देखो कोल्नं. ५४ देखो कुप्रवषि ज्ञान, मनः को० न०५४ देखो कोनं १६ देखो जानना पर्यय ज्ञान ये घटाकर(२) | को.नं०1४ के ममान १३ संयम १ भंग संबम । ३ १ भंग संयम को००५४ देखो को.नं.५ के समान को००५४ देखो को नं०५४ देखो को० नं. ५४ देखो को० नं. ५४ देतो कोनं०५४ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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