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________________ चाँतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०५६ हास्थादि छह नोकषायों में ७ इन्द्रिय जाति ५ १ जाति जाति १जाति जाति को.नं०१ देखो को० न०५४ के समान को नं ५४ देवो कोन, ५४ देखो को नं० ५४ के समान को० नं०१४ देखो कोनं०५४ देखो १ काय काय । को नं. १ देखो को० नं. ५४ के समान कोनं०५४ देशो को.नं.५४ देखो को.२०५१ देखो को.नं. ४४ देखो को.नं. ५४ रेखो योग १० । । सारे भंग योग । सारे भंग योग को००२६ देखो। कोन ५४ के समान को नं०५४ देखो कोनं.५५ दंखों को नं. ५४ देखो कोनं ५४ देखो कोनं०५४ देखो | भंग १ वेद १मंग वेद को. नं. १ देखो (१) नरक गतिमें –निर्यच गति को० न० ५४ देखो कोन० ४ देखो (१) चा गतियों में को००५ देखो कोनं ५४ देखो में-देवगति में हरेक में को० नं.५ के समान को० नं. ५४ के समान | जानना. भंग जानना (३) मनुष्य गति में सारे भंग वेद । ३-३-३-१-३-२ के अंग को नं०१५ देखो को००१- देखो को नं०१८ देखो २० सारे भंग १ भंग । २० । सारे मंग भं ग हास्यादि ६ नोकषायों (१) नरक गति में को नं० १६ देखो को नं० १६ देखो (२) नरक. मति में को.नं.१६सो कोनं०१६ देखो में से जिसका विचार १८-१४ के मंग १८-१ के भंग करो भो । छोड़कर । को००१६ के २३-१६ को नं. १६ के २३घोष ५ कयाय घटाकर हरेक भंग में से हास्यादि ११ के हरेक मंग में| २.जानना ६ नोकवायों में से जिसका से पर्याप्तवन शेष ५ नोकपाय विचार करो पो छोड़कर | घटाकर १५-१ के भय घोष ५ कषाय घटाकर १. १४ के मंग जानना १२) तिर्यक पति में सारे भंग १ मंग (२) तिथंच गति में सारे भंग १ भंग २०-१८-२०-..-१८-को.२०१५देखो कोन०१७ देखो २०-१५-२०-२०-१६-कोनं०१७ देखो कोनं०१० देशों २०१६-१के भग १५-११-१५ मंग को० नं. १७ के २५को.न.१७के २५ २३-२५-२५-२३-२५२३-२५-२५-२१-१७ ४-१६ हरेक मंग २४-२०के हरेक भंग में । में से पर्यावत शेष
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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