SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 442
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ०७ कोष्टक नं० ५६ हास्यादि छह नोक्यायों में चौतीस स्थान दर्शन स्थान मामाम्प ग्रालाप, पर्याय अपर्याप्त १जीव के नाना एक जीव के समय में एक समय में एक नीव के नाना एक जीव के एक। | समय में । समय में नाना बीच की अपेक्षा माना जीवों की अपेक्षा सारे गुण स्थान १ गुण। पर्याप्तवत् जानना पर्याप्तवत् जानना 1 स्थान | सारे गुण स्थान । ५ गुण - १ ८ गुरण | (१) नरक गति में अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान (१) नरकगति में १ से मुख सारे गुण जानना के सारे भंगों में से ले ४ गुण (२) नियंच गति में | काई । गुण | (२) तिर्यच गति में १-२ गुण.. भांग भूमि में भोगभूमि में । समस १-२-४ गुणा (3) मनुष्य गति में (३) मनुष्य गति में १से 5 गुरग १-२-४-६ गुण भाग भूमि में (४) भोग भूमि में १रो ४ गुण. १-२-४ मुग (४) देव गति में (५) देवयति में . १ से ४ मुरण | १-२-४ गुण. २जीवसमास १४ ७ पनि अवस्था १ समास: । ममास । ७ अपर्याप्त पवस्था को नं. १ देखो को नं०५४ के समान को २०५४ देखो को००५४ देखो को नं०५४ देखो ३ पर्याप्त | मंग'. १ भंग ३ कोल नं.१दंबा को नं. ५४ के समान को नं. ५४.देखो कोनं०५४ देखो को. नं. ५४ देखो ४ प्राप१० भंग । १ मंग : को न०१ देखी को. नं. ५४ के समान को नं. ५४ देखो कोन० ५४ देखो को० नं०५४ देखो देखो ५सं. ४ | १ भंग १ भंग । को नं०१ देखो को० न० ५४ के समान को नं. ५४ देखो कोनं. ५४ देखी को० नं. ५४ ६ गति ४ - कोल नं.१ देखो को० नं० ५४ के समान को० न०३४ देखो कोना समास १ समास को नं०५४.देखो को नं. ५४ देखो | .१ भंग । अंग को नं. ५४ देखो को०नं०५४ देखो ..१ मंग - १ भंग ! को० नं. ५४ देवो कीनं०५४ देखो १ भंग । मंग को० नं०५४ देखी का नं.४ देखो कोनं ५४ देमको 'कोन.५४देखों
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy