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________________ २४ २५ २६ २७ २८ २६ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ अवगाहना को० नं० १६ से ३४ देखो । बं प्रकृतियां १ मे उय प्रकृतिया सत्य प्रकृति सु० में को० नं० १ मे ६ के समान जानना । १०वे गु० में (०) बंध नहीं है। से गुमेका से ६ गुगु० में को० नं० १६ के मनान जानना संख्या- (८६१०००० करोड एक्यनित्रे नात्र यह मख्या मुनियों की प्रवेशा जानना ! क्षेत्र लोक के असंख्यातवां भाग जानना | स्पर्शन-लोक का प्रस्थातवां भाग जानना । काल-नामा जीवों की अपेक्षा पर्वकाल जानना। एक जीव की अपेक्षा एक समय मे श्रमुहूर्त तक एक लोक याय को अपेक्षा जानना । नाना जोवों की अपेक्षा अन्तर नहीं। एक जीव की पेक्षा अन्नंमुहूर्त से देशोन अषं पुद्गल परावर्तन काल तक संज्वलन लोभ को धारण न कर सके | अतु १०वां गुण स्थान धारण न कर सके । - - ( ४०६ } जाति (योनि) - ६४ लाख योनि जानना है कुल - १६२ । लाख कोटिकुल जानना । १० वे गुण० में ६० प्र० का उदये जानना । १० गुग्गु० में १०२ क्षपक श्री की अपेक्षा जानना ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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