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________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोष्टक २०५६ हास्यादि छह नोकषायों में ५ घटाकर ४४-३६-३५ के । (२) तिथंच गति में सारे भंग १ भंग भंग जानना । २.३३-३४-३५-३८. को. नं०१७ देखो को नं०१७ देखो (२) निर्यच गति में । सारे भंग । १भग । ३६-२७-२८-२९-३०. ३१-३३-४-३५-३५-४६-कोनं० १७ देखो को.नं. १७ देखा ३३-३४-३८-३३-२८ के ४१-३७-३२--५-४०-३६ भंग को.नं०१७ के. के भंग को. नं०१७ के | ३७-३८-३६-४०-४३३६-३८-३६-४०-४३-५१. ४६.४२-३७-५०-४५-४१ । ३८-३६-४३-३५-३के के हरेक मंग में से ऊपर । हरेक भंग में से पर्यावत् के समान शेष ५ कयाय शेष ५ कषाय घटाकर ३२० घटाकर ३१-३३-३४-३५ | ३३-४-३५-८-२६-२७३८.४६-४१-३७-३२-४५ २८-२९-३०-३५-४-६४ -३५ के भंग जानना |३८-३३.२८ के भंग मनुष्य गति में सारे भंग । १ भंग · । जानना ४६-४१-३७-३२-१७-१५- को. नं०१८ देखो कोन०१८ देखो १७-४५-४०-३६ के भंग (३) मनुष्य गति में सारे भंग १मंग कोनं०१८के ५१-४६. ३६-३४-२८-७-१-३३- को.नं. १८ देखो कोनं०१८ देखो ४२-३७-२२-२०-२२-५० । २८ के भंग कोनं०१८ ४५-४! के हरेक अंग में । के ४४.३९-३३-१२-४३से ऊपर के समान शेष ५ ३८-३३ के हरेक भंग कवाय घटाकर ४६-४१ में से पयांतवत शेष ५ २७-१२-१७-१५-१७.४५- | । कषाय घटाकर ३६-३४४०-३६- के मंग २८-७-३८-३३-२८ के मंग जानना (४) देवनि में सारे भंग मंग : ४५-४-३६-४४-18- को.नं. १६ देशो कोन०१६ देखो २५-३५ के मंग को०० १६ ५०.४५ भंग में से ऊपर के समान |
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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