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________________ ) ( ३८५ कोष्टक ने०५४ चौतीस स्थान दर्शन संज्वलन क्रोष, मान, माया, कषायों में स्यान सामान्य मालाप, पति पपर्यात १ जौब के नाना एक बीब के समय में एक समय में |एक जीव के माना एक जीर के एक | | समय में | समप में नाना जीव को अपेक्षा माना जीवों को मपेक्षा पुण स्थान सारे गुण स्थान १ गुण सारे गुण स्था | पुरण. १सेवं गुणके १ले गुरण से वे गुरण के अपने अपने स्थान केबपने अपने स्थान १-२-४- ये ४ जानना अपने अपने स्थान के पपने अपने स्थान ६ भान तक जानना एवं भाग तक जानला । सारे गुरण जानना के कोई 1 गुण (1) नरक गति में सारे गुण स्थान के सारे गुण स्थान (१) नरक गति मे १ले ४थे गुण स्थान जानना में से कोई १से ४ गुण (२) तियंच गति में गुण- जानना (२) तिर्यच गति में ले रै मौर १से ५ गुण भोग मूभि की अपेक्षा (३) मोग भूमि में ।१-२-४ गुण से ४ गुण (३) मनुष्य गति में (४) गनुष्य गति में । १-२-४-६ गुण. १से में 1 (४) भोष भूमि में (५) भोप भूमि में १-२-४ गुण से ४ मुरम (५) देवमति में (१)रेखगति में : १-२-४ गुण १से ४ गुगा. १ समास २जीव ममास ४ ७पर्वात अवस्था १ ममास । समाग ७प्रयाप्त बमस्या को.नं. १६-१८- १ समास को.नं.१ रेखो (1) नर-पनुष्य-देवगति में को० ज०१६-कोनं०१८-14- (१) नरक-मनुष्य देव | १६ देखो नं० -१८. हरेक में १९ऐसो १९ देखो गति में हरेक में १ संजो पंचेन्द्रिय पर्यात १ सभी पंचेन्दिप अपर्याप्त अवस्या जानना भवस्था जानना को.नं. १६-१८-१६देखो को०० १६-१८-१९देखो समास (२) तिर्थप गति में १समास १समाम (२) नियंचति में कोन. १७ देखो। १ समास ७-१-१के अंगको ..१७देखो कोनं०१७ देखो ७-६-१ केय को.नं०१७देखो को नं. १७देखो । को. नं०१७ देखो ,
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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