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________________ चौतीस स्थान दर्शन । कोष्टक नं०५४ संज्वलन क्रोध मान, माया, कषायों में ३ पर्याहि । को देसो । (१)नरक, मनग्य, देव गति में को.नं. १६-१८-कोनं०१६-१८- (१) नरक-मनुष्य-देव को नं० १६-१८-कोन०१६-१८० देखो । १६ देखो गति हरेक में १६ देखो । १६ देखो का भंग ! ३ का भंग को० नं. १६-१८-१९ देखो, . | को० न० १६-१८-१६ देखो (२) निर्यच गति में १ भंग १ भंग २) तिर्यच गति में १ मंग ५.४.६ के भंग को ना १७ देतो कोनं० २७ देखो, ३-३ के भंग " को० नं. १७ देखो कोनं १७ देखो ! को० नं. १७ देखो । को नं०१७ देखो | ४ प्राण . को नं. १देखो। (एनरक-मनुष्य-देवगति में को .१६-१८-कोनं०१६-१५- (१) नरक-मनुष्य-देष को नं०१६-१८-का. नं०१६-१८ हरेक में । १६ देखो १६ देखो , यति में हरेक में १. देखो । १९ देखो १० का भम ७ का भंग । को नं० १६-१८-१६ देखो। कोने०१६-१५-१६देखो (२) नियंत्र गति में | १भग १ मंग । (२) तिर्यंच गति में १ भंग १ भंग 10-1-1-5-६-४-१.को.नं. १७ देखो कोन०१७ देखो ७-७-६-३-४-३- कोन०१७ देखो को न १७ देखो । के भंग के भंग | को नं. ७ देखो को.नं.१० देखो ५संजा १ भंग भंग ४ भंग १ मंग बो०१ देखो नरक-निर्वच-देवगति में कोनं-1६-१७-कोनं०१६-१- नरक-तिर्यच-देवगतिको २०१६-१७-कोनं०१६-१७१६ देखो १६ देखो में हरेक में १६ देखो १६ देखो ४ का भंग | ४ का अंग को.नं.१६-१७-१६ देखो को० नं०१६-१७-१६ देखो (२) मनुष्य गति में सारे मंग १ भंग । (२) मनुष्य गति में | सारे मंग । १ भग ४-६२-१-४के भंग को० नं० १८ देखो कोनं०१८ देखो ४-४ के भंग को००१८ देखो को०नं०१८ देखो को.नं. १८ देखो को० नं. १८ देखो ६ गति को.नं०१ देखो चारों गति जानना को.नं. १६ से १६ को नं०१६ से | चारों गति जानना को० न०१६ से को.नं.१६ ते को.नं. १६ से १६ दतो देखो । खो को० नं.१६ से १ १६ देखो १६ देखो हरेक में देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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