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________________ घाँतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं० ५२ अश्रत्याख्यान ४ कषायों में के समान प्रपत्यास्याम के ४३-३५-३३-४२कषाय ३ पटाकर ४७ ३७-३३-३ के हरेक ४२-३८-४६-४१-१७ मंग में से पर्या वत मप्र३७ भग जानना त्याख्यान कषाय: बटाकर ४०-३-३०-18 ४-१०-३. के भंग जानना २३भाव सारे भंग १ मंग सारे भंग १ मंग उपशम-सायिक ६० (१): त को खो कोनं०१६ देलो कुअवधि शान घटाकरको न०१६ देखो कोनं०१६ देखो कुज्ञान ३, जान ३, ।' २६-२४-२५-२८-२७ । दर्शन ३. लन्धि ५, के भंग | (१) नरक गति में वेद सम्यक्त्व, को.नं. १६ देखो | २५-२७ के भंग गति ४, कषाय, (२)तियच गति में सारे भंग भंग ! कोनं०१६ देखो लिंग ३, लेश्या ६, २४-२५-२७-३१-२६-कोनं०१७ देखो को.नं.१७ देखो: (२) तिर्वच गति में | सारे भंग १ मंग मिथ्या दर्शन १, असंयम ३०-३२-२७-२५-२६ २४-२५-२७-२७-२२-को.नं. १७ देखो कोनं०१७ देखो १, प्रज्ञान १, पसिद्धत्व । २६ के भंग २३-२५-२५-२४-२२१. पारिणामिक भाव ३/ को० नं. १७ देखो | २५ के भंग ये (४१) ३) मनुष्य गति में | मारे भग १ मंग को.नं. १७ देखो । ३१-२६-३०-३३-२७- को० नं०१८ देखो कोनं०१८ देखो (३) मनुष्य गति में | सारे भंग १ भंग २५-२६-२६ के भग ३०-२८-३०-२४-२२-कोनं० १८ देखो को.नं. १८ देखो को० नं०१८ देको २५ के भंग (४) देवगनि में | सारे भंग १ भंग को.नं.१८ देखो २५-२३-२४-२६-२७- कोन १६ देतो को०० १६ देखो (४) देवगति में सारे भंग १ मंग २५-२६-२६-२४-२२ २६-२४-२६-२४-२८--कोनं. १६ देखो कोनं०१६ देखो २३-२६-२ केभंग २३-२१-२६-२६ के भंग मो० नं०१६देखो को.नं०१६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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