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________________ ૨૪ २५ २६ २७ २६ २६ ३. ३ ३२ ३३ ३४ (३७३) अवमाना- को० नं० १६ से ३४ देखो । कृतियां ११७, १ ले गु० में ११७ ० गु० में १०१, ३ मुख० में ७४ ४थे गु० में ७७ जानना । उदय प्रकृतियां - १ ले गुण में ११७, २रे गुण में १६१ ३० में १०४ जानता । सत्य प्रकृतियां - १४६-१४५-१४७- १४८-१४१ प्र० का सत्ता क्रम से को० नं १ से ४ समान जानना । संख्या संख्यात जानना । क्षेत्र— लोक का प्रसंख्यातवां भाग, असनाड़ी प्रमाण जानना । - स्पर्शन-लोक का असंख्यातवां भाग ८ राजु को० नं० २६ के समान जानना काल. नाना जीवों को अपेक्षा सर्वकाल जानना । एक जीव की अपेक्षा एक समय से अन्तर्मुहूर्त तक ( एक कषाय की अपेक्षा) जानना । अन्तर- नाना जीवों की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं, एक जीव की अपेक्षा मन्तमुहूर्त से देशोन अर्धपुद्गल परावर्तन काल तक अप्रत्याख्यान कवाय प्राप्त न हो सके । जाति (योनि) - २६ लाख योनि जानना । बिगत को० नं० ६६ देखो । फुल - १०८॥ लाख कोटिकुल जानना । विगत को० नं० २६ देखो ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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