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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०४६ नपुंसक वेद में के हरेक मंग में से स्त्री (१) नरक गति में सारे भंग सारं अंग भंग पुरुष वेद ये २ घटाकर २५-२७ के भंग को. को० नं. १६ देखो| को. नं. १६ २५-२६-२७-२८-३०-२७ नं०१६ देखो के भंग जानना (२) नियंच गति में सारे भंग १ भंग (३) मनुष्य गति में सारे भंग १ भंग २४-२५ के भंग-को० को० नं० १७ देखो को नं०१७ २६-२७-२८-३१-२८-२९ | को० नं०१८ देखो को० नं०१८ न०१७ के समान जानना दसो -२६-२७-२७ के भंग को. देखो २५-२५ के मंग को० नं. नं०१८के ३१-२६-३० १७ के २७-२३ के मंगों ३३-३१-३१-२६-२९ के में से स्त्री-पुरुष थे २ वेद हरेक भम में से स्त्री-पुरुष घटाकर २५-२५ के मंग बैद ये २ घटाकर २६-२७ जानना -२८-३१-२८-२९-२६-२७ २२-२३ के भंग-को २७ के भंग जानना नं०१७ के समान २३-२३ के भंग-को नं १७ के २२-२५ के | हरेक भंग में स्त्री-देव पुरुष-देद थे २ घटाकर २३-२३ के भंग जानना (३) मनुष्य गति में २८-२६ के मंग-फो० | सारे भग १ मंग नं०१८के ३०-२८ के कोन०१८ देलो को.नं.१८ हरेक मंग में से स्त्रीपुरुष वेद ये२ घटाकर २५-२६ के भंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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