SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 348
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७ सम्यगस्व १८ मी १६ श्राहारक २० उपयोग चौतीस स्थान दर्शन ज्ञानोपयोग, दर्शनोपयोग १ २१ २२ प्रात्रय २३ माद २४ २५ २६ २७ २८ २६ ३० ३१ ३२ ३३ ४ ११ (०) अनुभव (न संज्ञी न प्रसंज्ञी) १ अनाहारक जानना २ ज्ञानोपयोग १, दर्शनोपयोग १ मे (२) १ व्युपरत क्रिया निर्वानी शुषस प्यान (०) अनासब जानना १३ १३ का अंग-को० नं० १८ देखो ( ३१३ ) कोष्टक नं० ४६ 0 हत्या - ५६८ क्षेत्र- लोक का प्रसंख्यातवां भाग जानना । o २ युगपत् जानना गाना जघन्य अवगाहना ॥ हाथ और उत्कृष्ट भवगाहना ५२५ धनुष तक जानना । बंध प्रकृतियां - (०) यहां बंध नहीं है । दय प्रकृतियां - १२ तीर्थंकर केवलियों की अपेक्षा- साता वेदनीय १, मनुष्यायु १, उच्च गोत्र १, १ मंग १३ का भंग जानना जाति (योनि) - १४ लाख मनुष्य योनि जानना । कुल - १४ लाख कोटिकुल मनुष्य की जानना । स्पर्शन- ७ राजु । काल-प्र-इ उ ऋ लू ये पांच ह्रस्व स्वरों का उच्चारण करने तक का काल जानता । अन्तर—कोई अन्तर नहीं, कारण मोक्ष जाने के बाद फिर संसार में नहीं पाता। ५ २ युगपत् जानना १ १ मंग १३ का भंग जानना मनुष्य गति १, पंचेद्रिय जाति १, तीर्थंकर . प्र० १, बादर १, त्रस पर्याप्त १, सुभग १, प्रादेय १, यशः कीर्ति १ मे १२ जानना। सामान्य केवली की अपेक्षा तीर्थंकर ०१ घटाकर १ प्र० का उदय जानना । प्रयोग में | सस्य प्रकृतियां - (१) द्विचरम समय में ८५ वेदनीय २, मनुष्यायु, गोत्र २, मनुष्यद्विक २, देवद्विक २, पंचेन्द्रिय जाति १, शरीर ५, बंधन ५, उपघात १, परशात १, उच्छवास १, पर्याप्त १, अपयप्त १ स्थिर १, अस्थिर १. शुभ १ अशुभ १ यशः कीति १, भयशः कीर्ति १, प्रत्येक १, बादर १, जस १, सुभग १, दुभंग संघात ५, अंगोपांग ३, संस्थान ६, संहनन स्पर्शादि २०, मगुरुलघु १, १ सुस्वर १, दु:स्वर १ श्रदेय १ मनादेव १ निर्माण १, विहायोगति २ तीर्थकर १ ये ८५ जानना । (२) चरम समय में १३ ऊपर के उदय प्रकृति १२ और असाता वेदनीय १ जोड़कर १३ जानना । सामान्य केवली की अपेक्षा तीर्थकर प्र० १ घटाकर १२ जानना । ६-७-८
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy