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________________ । २७७ ) कोष्टक नं०४० चौंतीस स्थान दर्शन औदारिक काय योग में (२) मनुष्य मति में ३-३-६-३-३-२-१-०-२ के भंग बो० नं०१८ के समान भंग जानना सारे भग को० नं०१८ देखो , बो० नं. १८ देखो । ११ कप य को न०१ देखो सारे भंग को० न० १७ देखो भंग को २० १७ देखो , (१)तियंच गति में २५-२६-२५-२५-२१-१७-२४-५० के अंग की नं०१७ के समान जानना (२) मनुश्य गति में २५-२१-१७-१३-१३-७-६-५-४२-२-१-१-०-२४-२० के मंग को० न०१८ के समान जानना सारे भंग को.नं०१८ देखो को० नं. १८ देखो . १२ ज्ञान को नं० १८ देखो। (१) तिर्यंच गति में २-३-३-३-३ के भंग को नं० १७ देखो | (२) मनुष्य गति में ३-३-४-४-१-३-३ के मंच को नं० १८ के समान जानना १ भंग १ज्ञान को न०१७ देखो । को० २०१७ देखो सारे भंग को० नं०१८ देखो . को० न०१८ देखो १ भंग ? संयम को० नं०१७ देखो को० नं०१७ देखो १३ संयम को २०१८ देखो (१) तिर्थच गति में १-१-2 के भंग को० नं०१७ देखो (२) मनुष्य गति में १-१-३-३-२-१-१-१ के मंग को० नं १८ के समान जानना सारे को.नं०१८ देखो को २०१८ देखो १४ दर्शन को० नं०१८ देखो १ मंग को० नं० १७ देखो दर्शन को.नं. १७ देखो (१) तियं गति में १-२-२-३-३-२-३ के भंग को० नं०१७ के समान जानना (२) मनुष्य गति में २-३-३-३-.-२-३ के भंग को.नं. १५ समान जानना सारे मंग को.नं.१८ देखो । १दर्शन को न० 1 देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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