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________________ १ ५ नंशा ८ काय चौंतीस स्थान दर्शन ६. योग २ ६ गति को० नं० १ देखो ७ इन्द्रिय जानि एकेन्द्रिय जाति १ घटाकर ४ जानना को० नं० १ देखो १ १ च ( २७१ ) कोष्टक नं० ३९ (४) भोग भूमि में १० का भंग को० नं० १७-१८ देखी ४ ४-४-३-२-१-१-०-४ के मंग चारों गतियों में हरेक में ४ का भंग को० नं० १६ से १६ देखो (२) तियंच गति में ४ का मंग द्वीन्द्रिय से प्रसंज्ञी तक के जीवों को० १७ देतो (3) मनुष्य गति में ३-२-१-१-० के भंग को० नं० १८ के समान जानना (४) भोग भूमि ४ का मंग को० नं० १७-१८ देखी ४ चारों गतियां जानना ४ चारों गतियों में हरेक में १ संजो पंचेन्द्रिय जाति जानना को० नं० १६ मे १६ देखी ( - ) तिर्यक गति में वीद्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, भ्रमंजीपंचेन्द्रिय जाति ये ४ जाति जानना को० नं० १७ देखी १ चारों गतियों में हरेक में १ यसकाय जानना १ अनुभय वचनयोग जानना चारों गतियों में हरेक में १ अनुभव वचन योग जानना सारे भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना १ गति चारों में से कोई १ मति १ जाति चारों के से कोई १ जाति x 1 अनुभय वचन योग में T १ भंग अपने अपने स्थान के सारे मंत्रों में से कोई १ मंग जानना १ चारों में से कोई १ गति १ जाति चारों में से कोई १ जाति ६-७-८
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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