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________________ १ चौंतीस स्थान दर्शन २ (हिंसक ६ + हिंस ६) कषाय २५, सतगमनोयोग का अनुभवमनोयोग में से कोई एक योग जिसका विचार करना हो जो एक योग जानना ये सब ४३ जानना ( २५१ ) कोष्टक नं० ३५ ४१-३६-३२ के मंग १ मिथ्यात्व गुण० में ४१ का भंग - सामान्य के ४३ के भंग में से स्त्रीपुरुष वेद से २ घटाकर ४१ का अंग जानना २२ सासादन] गुरण में ३६ का भंग - ऊपर के ४१ के मंग में ने मिथ्यात्व ५ घटाकर ३६ का भंग जानना ३ ४ थे गुण स्थान में ३२ का मंग पर के ३६ के भंग में से अनंनानुबंधी काय ४ घटाकर का भगजानना (२) नियंच गति में – ४३३ १८ २८ ४२ ३७-३३ के भंग १ ले गुगा स्थान में ४३ का भग- सामान्य के ४३ के भंग हो जानना मेरे गुगा में | ३८ का भग-ऊपर के ४३ के अंगों में से मिथ्यात्व ५. घटाकर ३ का भंग जानना इरे ४थे गुण स्थान में ३४ का भंग - कार के मंगों में मेघना बंधी काय ४ पटाकर ३४ का भंग जानना पूर्व गुम्प स्थान के २६ का भंग ऊपर के ३८ के मंग में से अप्रत्या हिंसा ? ये ५ घटाकर २६ स्थान कपाय ४ भंग का जानना (२) भोगभूमि में ४२ का भंग — ऊपर के ४३ वेद १ घटाकर ४२ का भंग जानना २ गुगा स्थान में गुण स्थान में भंगों में से नपुंसक सारे मंग जानना को० नं० १५ दे सत्य मनोयोग या अनुभव मनोयोग में ६-७-६ 보 सारे अंगों में से कोई १ भंग जानना को० नं० १८ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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