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________________ ( २५० ) कोष्टक नं०३५ चौतीस स्थान दर्शन सत्य मनोयोग या अनुभय मनोयोग में ६-७-६ १५ लेश्या को० नं० २६ देखो चार्ग गनियों में हरे में का० न०२६ के समान भंग जानना १ भंग मांग RT भगों में से कोई एक भंग १६ भव्यत्व भव्य, प्रभव्य चारों गतियों में हरेक में को० नं० २६ के समान भंग जानता भंग अपने अपन स्थान के मगों में से कोई १ भंग | जानना १७ सम्वत्व का० नं०२६ देखो। चागें गतिवों में हरेक में कोल नं.२६ के नमान भंग जानना सारे भंग अपने अपने स्थान के |सार भंग जानना १८ संगी चारों गतियों में हरेक में को० नं० २६ के ममान भग जानना १ मंग अपने अपन स्थान के भंगों में से कोई भंग १,लेश्या अपने अपने स्थान के मगों में ग काई १: लल्या जादना १अवस्था अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई अवस्था जानना सम्यक्त्व अपने अपने स्थान के सारे भंगों में से कोई सम्यक्त्व जानना प्रवस्था अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई अवस्था जानना १अवस्था अपने अग्ने स्थान के १ अबस्था जानन १ उपयोग अपने अपने स्थान के सारे भंगों में गे कोई उपयोग जानना १ध्यान अपने अपने स्थान के मंगों में से कोई ध्यान जानना १ भंग अपने अपने स्दान के २९ पाहारक माहारक १ भंग अपने अपने स्थान के १ अयस्था जानना सारे मंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना चारों पतियों में हरेक में को० नं.२६ के समान भंग जानना १२ चारों गतियों में हरेक में को० न०२६ के समान भंग जानना २० उपयोग की नं० २६ देखो १५ १५ चारों गतियों में हरेक में को० नं. २६ के समान भंग जानना सारे भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना २१ ध्यान को २०१८के १६ में से घ्युपरत क्रियानिनि नी १ घराकर (१५.) २२ पासव मिथ्यात्व ५ अविरत १२ सारे भंग अपने अपने मान के (१) नरक गति में
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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