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________________ १७ सम्यक्त्व मिथ्यात्व मासादन चौतीस स्थान दर्शन 1 १८ मं १६ प्राहारक २ आहारक अनाहारक २० उपयोग ३ को० नं० २१ देखी २१ ध्यान C को० नं० २१ देखो ! २२ मा ३५ को० नं० २१ देखी २३ व २४ को० नं० २१ देखो ! १ में १ मिध्यात्व जानना १ ले गुगल में १ प्रमंजी मानता १ ले गुगा में आहारक जानना ३ को० नं० २१ दे C को० नं० २१ देखो ३६ को० मं० २१ के ममान २४ को० नं० २१ के समान ( २१९ ) कोष्टक नं० २० ४ १ मंग ६ का भंग १ भंग मका भंग 보 । सारे भंग ११ मे १८ तक के सारे भंगों में से | सारे भंग कोई १ भंग १ मंग १ भंग को० नं० २१ देखो को० नं० २१ देखी ६ १ दोनों सम्यक्त्व १ सम्यवश्व को० नं० २१ के समान दोनों में से कोई १ दोनों में कोई १ सम्यक्त्व जानना १ ले २ रे सुग्ग० में १ संजी जानना २ को० नं० २१ के समान पृथ्वीकायिक जीवों में 3 1 १ उपयोग १ भंग के भंग मे ने को० नं० २१ के समान ! पर्यावन जानना कोई १ उपयोग १ प्यान के भंग में ये कोई ? ध्यान १ मंग दोनों पदस्था ३७ ३७-३२ के भंग को नं० २९ के समान २४ २४-०२ के मंच को नं००१ के ममान ८ १ ध्यान १ भंग की० ० ० के समान | पर्याशवत् जानना पर्याय जानना १ अवस्था दोनों में से कोई १ अवस्था १ उपयोग पिवत् जानना सारे भंग को० नं० २१ देखो १ भंग को० नं० २१ देखो १ मंग को० नं० २१ देखो १ मंग को० नं० २१ देतो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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