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________________ चौतोस स्थान दर्शन कोष्टक नं०२८ पृथ्वीकायिक जीवों में ५ इन्द्रिय नातिले मुगण में एकेन्द्रिय जाति जानना ६ काय १ ले गुण. में १पृथ्वीकाप जामना । ले रे गुण में १ एकेन्द्रिय जाति १ले २रे गुण में : १पृथ्वीकाय जानन. vie. १मंग योग १-२ के भंग १-२ के भंगों में से १-२के भंगों में को० नं० २१ के समान कोई १ भंग में काई योग का० नं. २, देखो। १ने गुग में मौ० काययोग जानना का नं०१७ देखो १० बंद २३ ११ कवाय स्त्री-पुरुष वेद घटाकर लंगण में ले रे गुरण में १नपुंसक वेद जानना १ नपुंसक वेद जानना सारे भग भंग २३ सारं भंग रले गुण. में ७-८-९ के भंग ७-८-६ के भंगों ले रे गुरण में ७-८-८ के भंग २३ का भंग को.नं०१७ को नं०१८ देखो में से कोई भंग २३ का भंग पर्याप्तवत् | जानना को० नं. के समान जानना जानना | जानना १८ दंगो भंग - के भंगों में से कोई 1 मंग जानना १जान कुपति-नुश्रुनि । रेले गुण में दोनों कुज्ञान दोनों में से ई को० न० २१ के समान | दोनों दोनों में से कोई २ का भग को.नं०१७ देलो। १ज्ञान १३ नयम ले मुरण में ले २रे गुण में १सयम जानना १ असयम जानना १४ दर्शन ने गुरंग. में १ले रे गुण में १अचल दर्शन १मचम दर्शन १५ संश्या तेश्या । १ भंग लेश्या को००२१ दलो को नं०१ने समान | ३ का भंग ३ में से कोई१ को नं. १ के समान | ३ का भंग में से कोई । लेश्या जानना | लेदया जानना १६ भव्यत्व १अवस्था अवस्था १अवस्था भव्य, अभव्य १ले गुगण में दोनों में से कोई 1 | दोनों में से कोई १-२ के भंग २-१ के अंगों में से २-1 के मंगों में २ का भंग को.नं.१७, अवस्था भवस्था । को.नं. २१ के समान | कोई भंग से कोई भय देखो १ मंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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