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________________ क्र० स्थान सामान्य झाला २ १ गुप स्थान मिध्यात्व सामान २ जीव समान एकेन्द्रिय सूक्ष्म पर्याप्त 35 Fr बादर 31 ४ चीटीस स्थान दर्शन सूक्ष्म अपयश बादर ये ४ जानना " पर्या ५. को० नं० २१ देखो को० नं० २१ देखी ५ संजा गि को० नं० १ देखो । पर्याप्त नाना जीवों की अपेक्षा ܐ मिथ्यात्व जानना २ १ गुग्गु में एकेन्द्रिय सूक्ष्मपर्या " चादर ये २ जानना " १ले रु० में ४ का भंग को० नं० १७ देखो Y १ ले गुग्गु० में ४ का भग को० नं० १७ देखो १ ले मुख० में ४ का भंगनं १७ देख 4 · १] युग्म में १ निर्वच गति जानना ( २१ ) कोष्टक नं० २० एक जीव के नाना एक जीव के नाना | समय में समय में १ समा दो में से कोई १ समास जानना १ भंग ४ का मंग १ भंग ४ का भंग १ मंग ४ का भंग १ १ मंग ४ का भंग ४ का भग १ मंग ४ का मंग १ नाना जीवों को अपेक्षा २ १ समास २ दो में से कोई १ २-१ के भंग को० नं० २१ के समान जानन समस अपर्या मिथ्यात्व मासादन ३ काम को० नं० देखो रूप ४ पर्याप्त 2 मैं का भंग क० नं. २१ देखो १ २५ गुगा में ४का संग को नं० १७ देखो १२ गुण मे १ तिथेच गति पृथ्वीकायिक जीव में १ जीव के नाना १ जीव के एक समय में समय में ७ दोनों जानना १ समास २-१ के भंगों में से कोई एक समास १ भंग ३ का मंग 2. भग ३ का भंग ? रंग ४ का भंग कोई १ गुणा • १ ममास २-१ भंनों में से कोई १ समस जानना १ मंग ३ का भंग १ मंग ३ का मंग ९ भंग ४ का भंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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