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[ २१२ ) कोष्टक नं० २६
चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० २६.
संजी पंचेन्द्रिय जीवों में
संजी पंचेन्द्रिय जीवों में
मायक्त्व, सराप पारित्र (५) भोग भूमि में
सारे भंग १मंग (५) मोग भूमि में | सारे मंग । (मराग संयम), देश । -७-२५-२६-२६ के भंग १७-१६-१६-१७१७-१६-१६
१७-१६-१६-१७१७-१६-१६- २४-२२-२५- के भंग को०१७-१६-१७ के १७-१६-१७ के सयम (मंघमासंयम) ये को०१७-१८ के समान । के भंग जानना १७ के हरेक मंग नं०१७-१८ के समान | भंग जानना हरेक मंच में से १८ जानना । हरेक में जानना को. नं०१८ देखो | में से कोई १-१ हरक में जानना
कोई 1- भंग (४) प्रौदारिक भावर
भंग जानना ।
भानना नरक-नियंच-मनुष्य-देव । मनि-ये पनि, नपूमक-स्त्री-पुरुष लिंग
पोष-मान-माया-नोभ व ४ कषाय, मिथ्या दर्शन (मिथ्यात्व), कृष्णा-नील-कापोत-मीनपघ-शुक्न ये ६ घ्या, अनयम, प्रज्ञान, प्रमिदत्व, २१ मोदयिनः भाव जानना (५) बीवत्व, मव्यत्व, प्रभव्यत्व ये३ पारिशामिक भाव जानना इन प्रकार १३ भाव जानना