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(२१५ ) प्रवगाहना-लम्य पर्याप्तक संजी पंचेन्द्रिय जीव की जघन्य अवगाहना धनागुल के प्रसंस्पात भाग जानना और उत्कृष्ट अवगाहना एक बार
(१०००) योजन की स्ववभूरमण समुद्र के महामत्स्म की जानना ! बंध प्रहतियां-१२० बघयाम्प प्रकृतियां-१२ जानना इनमें से -
१०१ प्र. नरकगति में कोन. १ देखो। ११ प्रतियं च गति में को.नं०१७ दखो। १२० प्र० मनुष्य मति में कोर १८ देखो। १०४ प्र. देवनि म कान १६ दवा । बंधयोग्य १२० प्रकृतियों का विवरण निम्न प्रकार जाननाज्ञानावरणीय ५, मति-सुन-अवधि-मनः पर्यय केवल ज्ञानावरणीय ये ५ जानना । (२१ दर्शनावरणीय , अचक्षुदर्शन ?, पशवमन १, अवधिदर्शन १, कवलदर्शन १, निद्रा १, प्रचना १, निहानिद्रा, प्रचनाप्रचना १, स्यानदि १८ जानना। (1) बंदनीय २, मानावेदनीय १, प्रमानावंदनीय १ ये जानना । (४) मोहनीय २६, दर्शन मोहनीय १, मिय्यादर्शन जानना । चरित्रमोहनीय के २५ इनमें कषाय १ -(१) अनानुबंधी-क्रोध-मान-याया-लोभ, (२) अप्रत्याख्यान-कोष-मान-मामा-लोभ, 1) प्रत्याख्यान-क्रोध-मान-माया-लाभ, (४) संज्वलन-कोष-मान-माया-लोभ, ये १६ कषाय जानना और नबनोकषापहास्य-रति-परतिा-थोक-भय-जगुप्सा ये ६ जानना । और नपुसक वेद १. रवी बंद १, पुरुषवेदये ३ वेद जानना 1 इस प्रकार चरित्र माहनीय के +6=२५ जानना। (2) प्रायुकम ४, नरकायु १, निर्यचायु १, मनुष्वायु १, देवामु १ ये ४ जानना। (2) नामकम । (म) गति नामफर्म ४ - नरकगति, नियंचगनि, मनुष्यगति, देवगति ये ४ वानना । (मा) जाति नामकर्म ५-एकेन्द्रिय, हीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचोन्द्रिय ये ५ जानना । (६) शरीर नामकर्म ५-यौदारिक, वैऋियिक, माहारक, नेजस, कार्माण, ये जानना । (3) मंगोपांग ३–प्रौदारिक, वक्रियिक, पाहारक, ये ३ जानना।। (ड) निर्माण नामक्रम १ (3) संस्थान -समचतुरलसंस्थान, न्यग्रोधपरिमंडल सं., स्वात्तिसंस्थान, कुम्जकसंस्थान बामनसंस्थान, हुंडकस्यान. संस्थान जानना । (e) संहनन ६--वजवृषभारान संहनन, वचनाराच संहनन, नाराव सहनन, मषनाराच संहनन, कीलक संहनन, पाला मृपाटिका संहनन ये मंहनन जानना । (प.) स्पचं. रस, गंध, वर्ण, ये ४ जानना। (जी) प्रानपूर्वी ४--नरकगत्यानुपूर्वी, तिर्यचगत्यानुपूर्वी, मनुप्यगत्यापुपूर्वा, देवगत्यानी ये ४ जानना ।