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________________ २१ ध्यान C को० नं० २१ देखो २२ प्राम्रव चौंतीस स्थान दर्शन २ को० नं० २३ के ४१ के भंग में श्रविरत ६ की जगह १० जाडकर (हिंस का चतुरिन्द्रियविषय जोड़कर) ४२ जानना २३ भाव २५ को० नं० २१ के २४ के भंगों में चलूदर्शन जोड़कर २५ भाव जानना ३ ८ १ ले गुण में ८ का भंग को० नं० १७ के समान जानना ४० कालकाय योग १ प्रो० मिश्र काय योग १ ये २ घटाकर (४०१ श्ले कु० मैं | ४० का भग को० नं० १७ के समान जानना * ले नुग्ग में २५ मंग को० नं०१७ के समान मानना ( १६५ ) कोष्टक नं० २४ १ मंग ८ का भग सारे भंग १ ले गुण में ११ से १८ तक के भंग जानना ? भंग १७ का मंग फो० नं० १८ देतो १ ध्यान ८ के अंग में से कोई १ ध्यान १ भंग १ से १८ तक भंग में ने कोई १ भंग जानना के १ भंग १७ के भंग में से कोई १ भंग जागना J १ले २ रे गुण ० में ८ का भंग को० नं० १७ के समान ४० धोदारिककाय योग १ धनुभय वचन योग १ ये २ घटाकर (४०) १ ले गुण ० में ४० का भंग को नं०१७ के समान जानना २२ गुण ० में ३५ का भंग की० नं १७ के समान जानना २५ कुअवधि ज्ञान घटाकर (२५) १ ले गु० में २५ का भग को १७ के समान जानना २३ गुरण० में २३ का भंग को० नं० १७ के समान जानना १ मंग ८ का मंग सारे भंग चतुर्थिय १ ले गुर० में ११ से १५ तक के भंग जानना १ मंग १० ये १७ तक के १० से १७ तक भंग जानना के मंगों में से कोई १ मंग १७ का भंग को नं० १८ देखो १ ध्यान ८ के संग में से कोई १ ध्यान १ मंग १६ का भंग की० नं. १८ देवी ११ से १५ तक के भंगों में से कोई १ भंग जानना जानना १ भंग १७ के भंग में से कोई १ भंग जानना १६ के भंगों में से कोई १ भंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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