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________________ चौतीस स्थान दर्शन - वे ध्वं ३ १०३ J " P " १ १७ के भंग में १ कृष्ण लेण्या गिनकर १७ का मंग जानना カテ १ मील श्या #7 " 37 १ कापोत लेश्या , ar 1 कोष्टक नं० १८ ! I यहां स्त्री-पुरुष इन दो वेदों में में से कोई १ वेद जानना ३ गुरण० में १६ का मंग " ऊपर के कर्म भूमि के १६ के भंग समान परन्तु यहां स्त्री इन दो वेदों में से कोई १ वे जानना ये गुण० में १७ का भंग ऊपर के कर्म भूमि के १७ के भंग के समान जानना परन्तु यहां स्त्री-पुरुष इन दो वेदों में से कोई १ वेद जानना (१) सूचना--- १ ले गु० के १७ के भंग में अनेक प्रकार के भंग होत हैं इसका खुलासा निम्न प्रकार जानना १ पीन लेण्या १ पद्म श्या " शुक् श्या ? कुमनि ज्ञान १ कुम्भ विज्ञान १ कुप्रवधि ज्ञान १ नरकगति " ." " " १६ केभ में से कोई १ मं जना परन्तु यहां इन दो वेदों में १ वेद जानना ri से " १७ के मंगों में से कोई १ मंग जानना पर स्त्रीपुरुष इन दो वेदों में से कोई १ द " " 33 21 H "J 33 " " " ६ 38 E मनुष्य गति ७
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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