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चौंतोस स्थान दर्शन
कोष्टक नं.१८
मनुष्य गति
१५दे गुसा में
१४ का मंग जानना १४ का संग सायिषः सम्यमान १. क्षायिक चारिष १, कंवल जान १. केवल दर्शन १. आयिक लचि ५. मनुष्यगति १. शुक्न लग्या .. अमिडाम, मध्यक'. जीवस्व १,ये १४ का भंग जानना मूचना- यहां इस १४ के मंग में अनेक मंग नहीं होते।
१४वे गुण में । १३ का भंग जानना
१३ का मंग ऊपर के १४ के भंग में से शुक्ल . लेण्या १ घटाकर दोष १३ का | भंग जानना सूचना यहां इस १३ के भंग अनेक भंग नहीं होने (२) भोग भूमि में १ले मुख में
के भंग में से कोई १७का भंग
।मंग जानना परन्तु यहां ऊपर के फर्म भूमि के १७ के स्त्री-पुरुष इन दो में मंग के समान जानना परन्तु | मे कोई 1 बेद जानना यहां स्त्री-पुरुष इन दोनों वेदों में से कोई १ वेद जानना
रे गुरए में '१६ के अंगों में से कोई १६ का भंग
| अंग जानना परन्तु म्हां। ऊपर के कर्म भूमि के १६के स्त्री-पुरुष इन दो वेदों में मंग के समान जानना परनु से कोई १ वेद जानना