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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नम्बर ८
मनुष्य गति
व गुरण में पर के २२ के भंग में में १३ का भंग ऊपर के १२के | २ का भंग कैबली समहास्यामि नोकवाय घटाकर मंग में से = का भंग घटाकर | दधात की कपाट यव१६ का भंग जानना
कपःय काका भंग जोरकर १३ 'स्था ने मोनिकाययोग र भाम मे-१५ का भय ऊपर का भंग जानना
१. क म गा काययोग । वे गुग में रस १६ तक के के १६ के भंग में मेगसक १८ काभंग ऊपर के १२ के । ये २ का भंग जानना १६नक के मंगभगों में से कोई वेद १, घटाकर १६ का ' भंग में से अविरत कार का १ला । १का भंग कबला | पर्याप्तवन जानना भंग जानना भंग जानना
भंग (नीचे सूचना नम्बर ३ देन्बो) 'ममधात की प्रतर, सोक रे भाग में-१४ का भंग पर , घटाकर और अविरत का ३ का । पूर्ग अवस्या में १ कामगि के १५ के भंग में में स्त्री २रा भंग जोड़बार १४ का भंग जानना काययोच जानना ।
१. घटा र १४ का १५ का भंग पर के १४ के | (२) भोग भूमि में दे रग में ५-६-७ के भंगों मा बागना भंग में से अविरत का ३ का। ले गुण.
म ५ -६- भग में में कोई १ नंग माग में -2 का भंग ऊपर भंग घटाकर अविरत का ४ का भंग ४३ का भंग ऊपर के ! पर जानना ' जानना
१. भग में में पुरुष घटाकर अविरत का ४ का भंग । कर्मभूमि के ४४ के भंग वेद र १२ का किर: पामबान
से नपसक वेद । १५ का भंग ऊपर के १५ के | घटाकर का भंग व भाग में-: का भंग ऊपर मंग में से अधिरन का ४ का मंग । जानना
के के भंग में से कोष | घटाकर, अविरत का ५ का भंग । २रे गुरण में .१६ गुग्ग- मे २-१ के भंगो में सय १ टावर १२ का जोड़कर १६ का भंग
का भंग ऊपर : २का भगसे कोई १ भंग भंग जानदा
१० का भंग ऊपर के १६ के 'के दर्मभूमि के के ।ौ. नियकाय योग जानना माय न-११ का भंग पर भंग में ये अविरत का ५ का भंग | भंग में से एक नपुंसक !! शार्मागा काययोग के१२ के भंग में ये मान घटाकर अविरत ६ का भंग जोड़ | वेद घटाकर ?: का भंग , ये का भंग । पाय'घटाकर १का कर १७का भंग
जानना
का भंग । ना जानना १८ का भंग .पर के १७ के
गुगा- मे
र्यातवा जानना । बेभ' में-10 का भंग पर भंग में से अविरत का ६का भग २३ का भगग भूमि में .
" ग में ने गा पटाकर अधिरत का ७ का भंग ऊपर के कमान के गा में .११ मे १८ तक कपाय १ घटाकर . का । जांडकर १८ का भंग जानना । ३: का हो भंग रहां है? मे तक के | के मंगों में से भंग जानना
जानना
भंग पावत। कोई भंव वे गुग में
गानना परन् यहां जानना १० का भंग ऊपर के १६
'हरेक भंग में