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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नम्बर १८ मनुष्य गति घटाकर ८ ता भंर जानना विपरीत मिथ्यान्व, एकात मि.. | भग म ने मिथ्यान्व५ । अनन्वानुबंधी का उदय नहीं होता, राण में अहान मिध्वान्य. पूनम में कोई घटाक वा भग ननक मरण नहीं होता। मिथ्या १२ का भग ऊपर के मिथ्यात्न, अविरत हिमफ६. ये गुण : में दृष्टि का कषाय के के भंग में ४६ के भंगों में से प्रननानवधी | एकेन्द्रियादि जीबी में में कोई १ का भंग ऊपर हो मरण होता है। इसलिये यहां कमाय. घटाकर ४२ का . जीव का हिगफ का कोई इन्द्रिय के 18 के भंग में ० का भंग छोर दिया है। भंग जानना विषय १ और हिम्य ६ पृथ्वी अनन्नानुबंधी कपाय मूचना२.आपकी में कोई है जोव | श्री नमुमक वेद यहां ११ के भंग में जो एक का भंग ऊपर के हिम्य १. अविस्त) नगर के घटाकर ३३का ! योग गिना है वह ऊपर के योग १०कन ये अप्रन्यान्यान | कषाय मार्ग मान ने मंग कः । भग जानना स्थान की अपर्याम अवस्था के ३ कपाष ४, सहिया, ये ५ । कपाय ६ और ऊपर के संगमार्गरण।। ६दे गुग में योग में से कोई १ योग जानना घटाकर ३३ का भंग जानना । के १३ योगों में से कोई । योग ! १२ का भंग बेगर में इन प्रकार +२ +१-१० याहारक मिथकाय योग । २२ का भरपीदारिक का भंग जानना की अपक्षामध्यजन। कायबंांग की गक्षा ऊपर । उपाय ४, हास्यादिनी .७ भंग में ये प्रत्याख्यान पाय ६, पुल्प वन १ कषाय ४, अविरत ११ (स्थावर पाहारक मिश्रकाय योग | जीव हिंस्य ५और हिमा का १ १२ का भग रे गुगण में १० मे १७ तक सन्द्रिय विषय में ११) ये ! जानना ० से १७ तक के मंनों में से धमाकर १-६वा भंग जानना । ११ का भंग पर क१० के के भंग कोई १ भंग २० का भंग पाहारकवाय भंग में में करायका ६ का मंच पर्याप्तवन् जानना । जानना | योग का प्रांक्षा पर के २२ के घटाकर पौर कषाय का ७ का भंग में से स्त्री नपुमर पद के । भंग जोकर ११ मा भंग जानना घटाकर का मंग वे प्वं गुगा में २२ का भंग ऊपर के १२का भंग ऊपर के ११ के । ६ मा के २२ के भंग के भंग म से ७ का भंग घटाकर समान जानया कपाय का ८ का भंग जोड़कर वे गुग में १२ का भंन जानना १ले भाग में १६ का भंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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