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________________ १ चौतीस स्थान दर्शन २ २२ श्राव リ ०मिश्रानयोग १. ० का १ २ (५२) ! व्युपरत क्रिया नियनिती शुक्ल ध्यान जानना (२) भोग भूमि म 과 २ चुना० = का भंग, मुगा का भंग ܐܐ में मुगल १० का भाग ऊपर के कर्म । भूमि के समान जानना ( १३४ ) कोटक नं० १० ! i १ व्युपरत क्रिया | व्यु किया नितिन शुक्ल शुवन ध्यान ! - श्री० मिश्रका योग १. अ०] मिश्रकाययोग ९. कामकाज ये घटाकर (५२) V.१-४६-४२-३७-२२.२० २२-१६-१५-१४-१२-१२११-१०-१०-६-१-३-०-५० | उप्र के मंग (१) कर्म भूमि से व में २.४ का निय्यर, रविरत कपाय २५. दोन योग योग १. ये ५१ जन गुमे ४६ का भंग के 1 ५१ के मंग में न मि५ 4 ध्यान भंग ३. का भंग १० का भंग या भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना १९ से १= के भंगों में ११) कर्मभूमि मे १ ले मुग में १० मे १८ तक के भंग जानना अंगों की विवरगा निम्न प्रकार जानना १० का भंग संजय मिथ्यात्व T ५. मेरा कोई ७ या मे से कोई ? 146 १० मे से कोई ध्यान जानना १ भंग अपने अपने महान केसर भंग न कोई १ भंग जाननः ११ मे के भंगों में से १० से १५ नव के अंगों में से को? मंग जानन ६ घटाकर (४६) ४४-३६-३१-१२-२ १-४३-३०-३३ के भंग जानना १) फर्म भूमि मे १न गुप में ४३ का भंग मामा के के भंग में से मनोयोग न 1 योग ४ औ काययोग १. प्रा० निकाय योग १. आ० काययोग १. ये ११४४ का विनय मिध्यात्व 65 मनोयोग ४ वचन योग ४० का योग ● भग जानना २५ गुण में ३६ का भंग ऊपर ० के ४४ के। मनुष्य गति नारेग १ भंग अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान जाननः के सारे भंगों में से कोई ११ ते १८ के रूमों में से C 1 भग जानना ११ से २ के भंगों में गे ११। कर्म भूमि में इन्द्र युग में १९ मे १८ नक के मंस भवत जानना सूचना - १० का मंग इसलिये नहीं हो कि मियान्य कोयना वाले जीव को ११ सुन्वान से उतर कर १ स्थग्न में प्राकर न काय का नया बंद होकर उस नया बंध के आवाश काल न ११ मे १ त के भंगों में से कोई १ मंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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