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________________ 1 चौतीस स्थान द गुगा मे १४ का भय ऊपर के १० के भग में विपाक विषय धर्म १८ का भंग जानना ध्व गुग में ७ का भंग मोदारिक पौर आहारक काययोग की अपेक्षा ऊपर के ११ के भंग में से इष्ट नियंग आतंत्र्यान १ रौद्रध्यान ४५ घटाकर शेष में संस्थानविचम धर्मध्यान १ जोड़ कर ७ का भंग ७वे गु० में ४ का भंग ऊपर के ७ के भंग में से अनिष्ट योग ?. astrafia १, निदानज १ ये ३ मर्तध्यान घटाकर ४ का भंन जानता ८ से ११वे गुगा० में वितर्क विचार १ शुक्ल ध्यान जानना १२वे गुरुग में १ एकत्व वितर्क विचरर शुक्ल ध्यान जानना १३वे गुण में १ मुक्ष्म क्रिया प्रतिपाती शुक्ल ध्यान जानना १४वे गुरग० में 1 · ( ११३ ) कोष्टक नबर १८ १२ का भग ७ का मंग ४ का भंग १ पृथवत्व वितर्क वि० शुक्ल ध्यान १ एकर विनर्क afro शुक्ल व्यानां १ सूक्ष्म किया प्र० शुक्ल ध्यान 1 १ के भंग में गे कोई ध्यान जानना ७ के भंग में मे कोई १ ध्यान जानना '४ के भंग में से कोई १ ध्यान जानना १ पृथक्त्व वि विचार शुक्ल ध्यान १ एकत्व दिल श्रविचार शुक्ल : ध्यान १ सूक्ष्म त्रिया प्र० शु० ध्यांन ६ ६ गुगा में १७ का भंग आहारक मिय काय योग की अपेक्षा पर्याप्तवत् ज्ञानना १३ वे गुरप मं १ सूक्ष्मक्रिया प्रतिपाति शुक्ल ध्यान गुण स्थान के अन्त में जानन (२) भोग भूमि में १ले २ रे गुण में = का मग आनं ध्यान ४. रौद्रध्यान ४. ये ८ का भंग जानना ये गु० में ६ का मंग ऊपर के = के भंग में प्रशा विषय धर्म ध्यान जोड़कर का मंग जानना 1 • नुष्य गति ७ का भंग १ सूक्ष्म त्रिया प्र० शुक्ल ध्यान ८ का मंग ६ का भंग 1 ७ के मंग में से कोई १ ध्यान जानना १ सूक्ष्म किया प्र शुक्ल ध्यान के मंच में से कोई १ ध्यान जानना ६ के संग में से कोई १ व्यान जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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