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________________ चौतोस स्थान दर्शन कोष्टक नम्बर १८ मनुष्य गति १ . २ । - - - - ये जानना कर्म भूमि में ११. गुगण में १ याहारक १ बालारा जानना व गुरंग. में १ आहारक २ का भंग दरममधात यवस्था में एक प्राधरक. चस्या जानना १४ गुना में १ अनाहारक १ अनाहारक अवस्था जानना अवस्था जानना (२) भाग भूमि में १ मे । गुनगम १ याहारक १माहारकनस्था जानना अवस्था भंग जानना १ माहारक (१) कम भूमि में १२ ४धे गण. मं. १-१ के भंग दोनों में से कोई १ माहारक १मनाहारक अवस्था जानना १ अवस्था विग्रह गनि में जानना जानना १अवहारक अवस्था माहार पांति के समय अनाहारक. जानना अवस्था जाननाचे गुरण में १बाहारक १प्राहारक १पाहारक अदम्या अवस्था अवस्था आहारक मिथकाय योग अवस्था में याहार पर्याप्ति के ममय १३वे गुएमें माहारक अवस्थाः १ आहारक १ आहारक अवस्था अवस्था केवलो समुद्घात की ! कपाट अवस्था में जानना. । १ अनाहारक अवस्था १ अनाहारक अनाहारक कवली समुद्रात की अवम्या । अवस्था प्रतर लोकपूर्ण अवस्था : में जानना (२)भोग ममि में १ले रे ४थे गुण में १-१ केभंग जाननादौनों में से कोई | १ अनाहारक अबस्ता १अवस्था विग्रह गनि में जानना जानना | १ पाहारक अवस्था • अाहार पयांमि के समय जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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