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________________ बावीस स्थान दर्शन דבר כ नी P २२ जानना केजनः (१) म זק हसपुरा में भग ३. मग में ६ भगान दर्शनका भय जानन ॐ मे भग ३ भग जतन ने भगो करव परा का भजनन भग HTT १२ भ ज्ञान ? ज्ञान दर्शन भगना ६४ कन : मन भाग :. नन योग ? ४. अपने के मंग भंग डान्स ५ नंग भंग ७-३ केभ जानता का भंग ( १२१ } कोष्टक नं० १८ स्थान भग गजानना | ६ उपयोग ! मारेभंग मे कोई उपयोग मंग . 1 1 भगम को उपयोग ६. भंग ग में कोई उपयोग ६ के गी कोई यं जानता के कोई योग २ का सम जानन युगपत् १. मनःपरंग ज्ञान ? यावर 1-1-2-24 B भगवान्नः |१| भूि पुति मु का भंग की १४ जान जानना ६ भद लाजारक केप वन प जाऊ। (२) नी मे कार कम तुमि के समान जानना में मनुष्य गति मारं भंग अपने अपने के भंग जालना ४ का मंग काग कानग का भग घाम आनन भंग ६ मं न १ योग रेनों मे में को 1 जानत भंग में न कोई १ उपयोग जानना के भंग में १ नको उपयोग जानना भंग मे में कोई १ उपयोग जान्न का भंग बुगपत् जानता ४ के भग में से कोई २ उपयोग ६ के भंग में गंगोई १
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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