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________________ चौतोस स्थान दर्शन ( १२७ ) कोष्टक नं०१८ मनुष्यति मुचना वाय पर्यातक मनुष्य के गुण म्थाम! मिथ्यान्व, जीव मम.स मनी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त और मीन पशुभ लम्या हो आनना (दो गोल ना .१-३२५-२६-५४६) १६ भव्यत्व भव्य, मभव्य २-१-२.१ भंग (१) कर्म भूमि में रेले गुग में २ का भंग भव्य, अमब्प ये२ जानना रे से १४ गुणाल के भव्य ही जानना (२) भोग भूमि में १ले गुमा० में २ का भंग भव्य, अभव्य २ जानना २रे ३रे गुरण में १ भव्य ही जानना १७ नम्यक्त्व | मिथ्यात्व, सासादन] १-१-१-३-३-२-३-२ मित्र, उपशम, १-१-१-१-३ के नंग सायिक, लायोप जानना अमिक य (६) (१) कर्म भूमि में गुरण में १मिथ्याल जानन २रे गुरण में १सासादन जानना ३रे गुरण में १ मिष जानना । सारे भंग १अवस्था मारे भंग १ अवस्था अपने अपने स्थान के २-१-२-१ के भंग अपने अपने स्थान के | (१) कर्म भूमि में . २ का भंग .दो मे से कोई १ले गुरग में २ का मंग दो में से कोई १ अबस्था का मंग भव्य, । १ अवस्था जानना प्रभव्य २जनना जानना १ भव्य जानना १ भए । २रे ४ वे १३व गुण । १ भव्य ही जानना १ भव्य ही में १ भव्य ही जानना जानना (२) भोग भूमि में २का भंग । दो में से कोई ले गुग में २ का भंग | दो में से कोई १ अवस्था ०का भंग भव्य, १अवस्था अभव्य ये २ जानना १ भष्य जानना १ भव्य । २रे ४थे गुण में १ भव्य हीजानना | १ भव्य हो । १ भब्य ही जानना जानना सारे भंग सारे अंगों में ।' सारे भंग !१ सम्यक्त्व अपने अपने स्थान से कोई१ . मिथ्यात्व, सासादन अपने अपने स्थान | सारे अंगों में के सारे भंग । सम्यक्त्व | सायिक क्षायोफाम ये ४ के सारे भंग जानना से कोई १ जानना सम्यक्त्व जानना । सम्यक्त्व जानना १ मिथ्यात्र १ मिथ्यात्व । २ सासादन १सासादन के भंग जानना | (१) कर्म भूमि में ले गण में १ मिथ्यात्व जानना २रे गुरग में १ सासादन जानना | मिथ्यात्व १ मिथ्यात्व १मिथ १ मिश्र १ सासादन १ सासादन
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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