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________________ चौतीस स्थान दर्शन १५ लेव्या E को० नं० १ देखी ' चक्षु दर्शन १. ये २ का भंग जाता ३५ ४ गुगा में ३ का भंगदर्शन १. चक्षु दर्शन, अवधि दर्शन है ! ये ३ का अंग जनता 1 E ६-३-१-० ३ के भंग (१) कर्म भूमि में १ से ४ गुगा में ६ का भंग मामाम्प्रवन् जनना ५. वे वे गुण में कानी भ वेश्या जानना ८ मे १३ में गुरग १ शुक्ल लेश्या जानना १४वं गुप में ( 4 ) का नच यहां लेश्या FRI (२) भोग नृमि में १० मे काभंग कोन भ नव्या जालना ( १२६ } कोष्टक नं० १८ ४ ३ का भंग सारे भंग अपने अपने स्थान के ६ का भंग ३ का मंग १ शुक्ल लेक्या ● । ३ का भंग ५ 1 ३ के भंग में मे कोई १ दर्शन | जानना १ लेश्या के गंग में से कोई १ व्या जानना ३ के भंग में से कोई १ लेडया जानना १ शुक्ल लेग्या ૬ जानना ६-०-१० के मंग (१) कर्म भूमि में १२० में ६ का भंग पर्यावन जानना ६ गुण भ 5 का मंग माहारक मिश्रकाययोग की अपेक्षा ३ शुभदा जानना १३ वे गुण म १ का मंग केवल समुदात की अवस्था में एक शुक्न लेप्या जानना के भंग में से (२) भोग भूमि में कोई १ १-२-४ये गुरण० में २ का भंग एक कापोत लेश्या जानना जानना मारे भंग अपने अपने स्थान में ६ का भंग i मनुष्य यति } न -४ मिति में जन्म सेने वाले शुभया कर्मभूमि की ३ का भंग १ शुक्ल व्या जानना ३ का भंग ५ तर्ती कल्पवासी देव के अपर्याप्त अवस्था अपेक्षा जानना । १ ध्या ६ के भंग में में कोई १ या जानना तीन में से मे कोई ? लेश्या जानना १ बलमा जानना ३ के भंग में से को १ मा जानना मरके मनुष्य में भी तीन
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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