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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक ०१५ मनुष्य गति ६वे गण में का भग के भंग में मे | पर्याप्ति के समय कारण । । माहारक काययोग की अपेक्षा कोई १ योग | काययोग १.मौ. मिश्र का भग ऊपर केक। जानना काययोग का भंग मग में में श्री. काययोग घटाकर जानना माहारक काययोग जोड़कर ६ | वे गुरष में माहारिक मिश्र, प्रा. मिष का भंग जानना का भंग पाहारक | काययोग जानना काययोग जानना ७ से १२ तक के गुरण में ६ का भंग के भंग में से | शरीर की अपेक्षा पाहाET पर के | | रक मिथकाय योग ६ गुमरा के सामान जानना जानना जानना १३३ गुरा० में १३वे गुण में २-१ के भंग जानना २-१ के भंगों में ५ का भग दुधमन की , ५-३ के मंग जानना ५-३ के भंग में मे २ का भंग केवल समुद- । से कोई योग अपेक्षा प्रो. काययोग १, सत्य | कोई योग धान की कपाट अवस्था में जानना बचन योग १, अनुभव वचन | जानना | कामणि काययोग १, योग १, मन्य मनोयोग १, । प्रो. मित्र काययोग है मनुभय मनायोग १, ५ का । येरका भंग जानना । भंग जानना १ का भंग केवलो समु३ का भंग भावमन को दवात की प्रतर पोर ।। अपेक्षा ऊपर के ५ के भंग में लोक पूर्ण अवस्था में में सत्य मनोयोग १, अनुभय एक कागि काययोग मनोयोग १,ये २ घटाकर शेष । जानना ३ का भंग जानना (२) भांग भूमि में १४वे मुगण में १-२-४ मुरण में १-२ के भंग जानना १-२ के भंगों में (0) का भंग वहां कोई १-२ के भग ऊपर के | से कोई १ योग योग नहीं होना इसलिए शून्य कर्म भूमि के गमान जानना जानना जानना (२) भोग भूगि ग १ से ४ गुण में । का मंग के मंग में से का मंग जमर के कर्म । कोई १ योग भूमि के समान जानना जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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