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________________ चाँतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं० १८ मनुष्य गति २ का भंग | २ का भग ' कायबल, बासोच्छवास, दबन दल व प्रांगा जानना दिग्यो गी11024६-५.८5] १चे गृगाल में मायुदल प्राग जानना (२) भोग भूमि में १ गुग म १० का भंग मामाग्यवत् जानना ये का भंग जानना १३वे गुगत में का भंग करनी समुद्-. धान की कपाट, प्रनर १ मायुबन प्रमाग ? प्रायुबल प्रमागा नाकपूर्ण इन प्रवृस्थाये । पायु और कायल थे। १. का भंग १० का भंग जानना (2) भोग भूमि में -:- गम्ग में का भंग ऊपर के कर्म शुमि मामान जानना का भंग ७ का भंग १ भंग मारे भंग अपने अपने स्थान के १ भंग ४ का मंग मंग ४ का नंग ३ का मंग ५ मंजा १ भंग की नं.१ बेखा -:-.-1-2-4-1 के भंग प्रपन याने स्थान के जानना (१) कर्म भूमि में १गु गूगा. म ४ का भंग का नंग चाहार, मय, मैजुन, बड़ का मंग जानना वे वे गुरण में ३ का भंग 1 का भंगाहार संज्ञा घटाकर दोष का भंग जानना वे गूगार के मवेद भाग में वा भंग का भंग मैन, पग्निह ये भग जानना ६वे गुगण के प्रवेद भाग में १ का भग ग्रह मंत्रा जानना १०व गगण में का भंग पन्ग्रिह नंगा जानना ४-०-४ के भंग १) सममि में :-:--वे गुग में ४ा भंग पर्यापवन व मृग में (1) का भंग कंचनमनधान र्ग अवर में मजा नही होदी इपिं गन्ध का मन कानना 10 भोग गमिम १-:-गगा मे का भग पयायन जानना का मंग रा का भग । ४ का भंग १ का रंग - - - - १ का मंग --
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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