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________________ १ चौबीस स्थान दर्शन १ से ४ गुण में -६० के भंग ऊपर के कर्मभूमि के समान जानना २२ श्राव ५१ आ०मिश्रकाय योग १० मिश्रकाम योग १, आहारककाय योग काम काय योग १. मिश्रा यांग २ ये २ घटाकर (५१) ० काय योग ११ ३६-२८-३९-४०-४३-११कर (५३) ४६४६०४५ के भंग जानना ३८ का भंग डीन्द्रिय जीव से ऊपर के ३६ के मंग में अविरत जगह गिनकर き (हिंसक का रमनेन्द्रिय fare ( १०५ ) कोष्टक नं० १७ भूल गुगा मे ८ का भंग ३४ गुग्ण मे रु. का भंग ४५ (१) क्रम भूमि में १न्द्र गृरण में १३ गुगा ० में ११ मे १८ तक के ३६ का भंग एकेन्द्रिय जीव में मंग को नं १० मिध्यात्व ४, अविरत (हिंसक के ममान जानना केन्द्रिय जाति का स्पर्शनेन्द्रिय विरय१हित्य य अग्नि) कथाथ २३ (स्त्रीपृश्य बंद ये २ ढाकर २३) | यौ काय योग ये ३३ फाग 1 ध्यान गुगा मं १० के भंग में मे १० का भंग कोई १ ध्यान न रे मंग १ भंग अपने घने स्थान | सारे भंगों में से के मारे भंग कोई १ भंग जानना जानना ८ के भंग मं में कोई १ प्यान । के भंग में से कोई · ११ मे १८ तक के भंगों में से . का १ भंग ! जानना ८९ T १ मंग मनोयोग वचन योग अपने अपने स्थात ४, औ० काय योग १ ये के मारे भंग चानना २. घटाकर शेष । (४८) जानना 1-1--1--4४४-३२-३३-३-३५ PRE-BE-VE भंग (१) कर्म भूमि में १ गुण मे ३७ का मंग एकेन्द्र जीन में मिथ्यात्व प्रविरन उ कथाय २३ मिश्रका योन कार्माण काय योग १ ३० का भंन जाननर का संग दीन्द्रिय • तिर्सन गति जीन में ऊपर के के अंग में अविरत की जगह गिनकर ३ का । | भेग जानना २ का भंग त्रीन्द्रिय जीव में ऊपर के के गुण में | २१ से १ तक के भंग की० नं० १ । के समान जानना " भंग सारे गंगों में से कोई १ भंग जानना ११ से १ = क के मंगों में से कोई ? भंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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