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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोन्टक नं० १२ क्षीणकषाय (मोह) गुण स्थान - - .: भत्र्यत्व मम्यक्त्व १८ सजा १६ माहारक २. उपयोग भत्र जानना या यम्बकम जानना म.नी जानना काहारब डानना भग का भग ३ भंग की भूबिद शकत्व बित के अविचार शुक्ल ध्यान १ उपयोग के मन में से कोई ..जाग जाना " यान २ मायन को नं.५ देखो । का भय को न० १: के मूजिय ! भग के भंग में से कोई 1 के भग में से कोई । यांग जानना यांग जानना भग भग '१५का भंग की न. १५ के अंगों में से कोई .:: के मुजिब जानना | १मंग जानना को न.१८ देखो "माय को नं० ११ के२१ भावों में स उपशम नम्बक्त्व १ उपक्षमचारिव १पेर घटाकर शेष ११ से सायिक चारित्र जोडकर २० भाव जानना २. दे भग को नं०१८ के मुनव
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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