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अवगाहन-कोन. १८ देखो। व प्रकृतियां-१ कोष्टक नं. 1 के, २२ प्रकृतियों में से संज्वसन कषाय ४ मोर पुरुष देद १ ये घटाकर १७ प्रकृत्तियां जानना । ६. को . ६६ प्रकृतियों में से कोष-मान माया ये कवाय, मोर वेद: ये ६ बटाकर । प्रकृतियां जानना । सत्य प्रकृति-१४२, १३६, १३८, १०२ को न० के मुबिन जानना ।
या-२६६ उपशम धेगी में पौर ५६ क्षपक अंगो मे जानना । अर्थात अढाई दीग में इतने जीव यदि हो तो एक समय में हो सकते हैं। मंत्र-लोक के असंख्यात भार प्रमाण जानना । स्पर्शन-लोक का मसंख्यानां नाग प्रमाण जानना। काम-उपशम सम्यक्त्व को अपेक्षा एक समय में अन्तमुइन नक जानना और आयिक सम्यक्त्व की अपेक्षा अन्नम हतं स यन्नमुंहतं तक जानना । अन्तर-को नं. १ के मुजिब जानना । जाति (धोनी)-मनुष्य की १४ लाख योनि मानना। कुल-मनुष्य की १४ लाख कोटि कुल नानना ।