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चौतीस स्थान दर्शन
कोप्टक न. १०
सांपराय गुण स्थान
१४ दान
३ कानं० दस
भंग का भग
का भंग को न
के मित्र
शन के भंग में में काई दन जानना
१
१४ लेण्या १६ भव्यत्व १. मम्बकत्व
उपशम प्राधिक म.
' शुक्ल मश्या जानना , भय्यद जानन'
• का भंग को नं १ के पुत्र
का भंग
१ सम्यक्त्व के भंग में मे कोई मम्यक्त्व जानना
मजी जामा १ पाहाग्क जानना
१ भम
का भग
१८ मी
माहारक २० उपयोग
का नं. दखा २१ ध्यान २२ मानव मूक्ष्म लोभ १. मनोयोग ४,
वचन योग ४, प्रो. काय योग १ये.
का भंग' का ना कमजिव १ चकन्च क्निक विचार का ध्यान को नं०१५ देखो
१ उपयोग के मंग में ये कोई । १ गयोग जानना
१० का मंम का नं.१ केनचित्र
२ का भंग
| २ का भंग को नं. !१% के मुजिव
।
२३ २३ का भंग को २० : के मजिद
२३ भाव
२३ को नं. ८ के २६ के भावों में
से क्रोध मान माया कषाय ३. चिग३, ये ६ पटाकर २३ जानना
१मंग १. का भंग को न०१६ के भंग में में कोई
१- के मुजिब । १ मंग जानना