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________________ 2.9 . २७२ छन्दोऽनुशासनम् । तरंग (रनरनरनर) 2.352| निःश्रेणिका S. श्येनी तरंगवती . कामिनी नितम्बिनी (र; जरजरजग) 3.22 तरल (नभरसजजग) 2.331 | नितम्बिनी s. मालभारिणी तरुणीवदनेन्दु (6स+ग) 2.333 | निलया (नननग) 2.115 तामरस (नजजय) 2.183| निशा (ननरररर; y.13) 2.314 तार (ससम) 2.98 | नृत्तगति (8Matras+गग+4 Matras तारका S. निशा +गग; y.12) 3.72 . तूणक (रजरजर) 2.254 नृत्तललित (भजसनभजसनभय) 2.383 तोटक (सससस) 2.162| पङ्कजवक्रा (ननससतय; y.4,9) 2.315 - त्वरितगति (नजनग) 2.112 पति (भगग) 2.25 त्वरितगति (ननननग) 2.219 पतिका (रयजग) 2.108 दक्षिणान्तिका 3.61 | पञ्चचामर (जरजरजग) 2.278 दम्भोलि दण्डक (नग+9) .. 2.390 | पणव (मनयग y.5) 2.110 दर्दरक (भभरसलग) 2.236 पणव (मनसग; y.5) 2.110 com... दीपार्चि (मसजसजसजग; y.12) 2.357 पतिता (नयभगग; y.6) . 2.140 दीपिकाशिखा (भनयननरलग; y.3,6) 2.343 | पथ्या गाथा s. गाथा (द्वि) 4.3 दीप्ता (सरग) 2.71 | पथ्यावत्र s. वक्र 3.34 दुःख (गल) पदचतुरूर्ध्व (8,12,16,20 Aksaras) 3.40 दुग्ध (स or त) 2.14 com. | पद्म s. स्त्री दोधक (भभभगग) 2.130 पद्म (नसमततगग; y.6,4) 2.294 द्रुतगति . हरिविलसित पद्ममुखी s. संगत द्रुतपदा S. कलहंसा पद्मिनी s. स्त्रग्विणी द्रुतपादगति . सुमुखी पद्धति (16 Matras) 3.73 द्रुतमध्या (भभभगग; नजजय) 3.5 पन्नग दण्डक (नग+8र) 2.390 द्रुतलघुपदगति (भभभतनननस) 2.369 | पश्चिमान्तिका (8+लदलद) 3.63 द्रुतविलम्बित (नभभर) 2.163 | पादाकुलक (16 Matras) 3.70 धू S. केशा पिपीलिका (ममतननननजभर; y.8,15) 2.385 धृति (नजभजलग) 2.235 पिपीलिकाकरभ (ममत+4न +5ल+जभर; नटचरण (4+4ग; y.8) . 3.71 y.8,15) 2.386 नन्दक (भभभभरसलग) 2.341 पिपीलिकापणव (ममत+4न + 10ल+जभर; नन्दा (तलग) 2.28 y.8,15) 2.386. नन्दिनी (सजसजग) 2.210| पिपीलिकामाला (ममत= 4न+15ल+जभर; नन्दीमुखी . वसन्त y.8,15) 2.386 नकुंटक S. अवितथ पुट (ननमय; y.8) 2.164 नर्तकी s. कुटिलगति पुण्य . समृद्धि नलिनी s. रमणी पुष्प . मद नवमालिनी (नजभय; y.8) 2.179 पुष्पदाम (मतनसररग; y.5,7) 2.327 नान्दीमुखी s. मालिनी | पुष्पविचित्रा (तयतय) 2.189 नाराच (तरलग) 2.78 | पुष्पसमृद्धि . रुक्मवती नारी (म) 2.11 पुष्पिताग्रा (ननरलगग; नजजरग) 3.16 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.090113
Book TitleChandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH D Velankar
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1961
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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