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________________ २६४ . 4.82.1 4.57.1 6.19.26 6.19.30 4.40.1 6.20.4 5.33.1 . कमला तिहिं लहु कमला ललिता कमलिणिपासि कर असोअदल करवालपहारिण करहयथणहर करिमयरभुओ कलसभवतवस्सि कवणु सु धनउ कहिं हंसिहिं कामिणिहिअअसरो कामे कमाहिं कमियं काली कमली मेहा काली रचडी कालो हरो कुबेरो किं अज्जवि माणं किं प्राइउ तिण किउ उरि लच्छिहिं कित्तिउ वण्ण कित्ति तहारी कि न फुल्ला कुइ धन्न जुआ कुमुअकमलहं कुवलयखित्त कुवलयदलनयणे कुविदो मयणो कुसुमंतर कुसुमाउहपिण कुममुग्गमु कृव कण्ण कलिंग केआरादु केलाससेल छन्दोऽनुशासनम् । 4.5.11 | केसरकुरवय 4.5.9 | कोअंडं पसूण 6.19.17 कोइलकलखु 6.20.31 | कोइलावलिकर 6.19.55 | खंडुग्गयमिंदु 5.7.1 | खलिअक्खरलं 7.64.1 | खीरसमुदिण 4.1.4 | खेलिरकामिणी 6.19.49 | गज्जइ घणमाला 6.19.3 | गज्जति गीइओ 6.20.24 2.157.1 गयणुप्परि कि न 4.5.10 / गयपत्तपरिग्गह 6.19.23 | गलिअंजणधवले 4.13.3. गहिरु गजइ 7.48.1 | गाम्वि पट्टणि 7.36.1 गुणविवज्जिइ 7.4.1 | गुरुअ चिअ एक 6.19.43 | गोरडिअहिं उव 5.37.1 | गोरीइ चिहुर 4.87.10 | गोरी गोट्ठी दर 6.19.36 | | गोरोअणगोरी 5.18.1 | गोवीअणदिजंत 1.7.6 | घणरवदूसहा 4.48.1 | घणसारु मेल्लि 6.19.51 घोलिरनवपल्लवु 6.19.8 | चउलहुएहिं 4.85.1 | चंदणयं पिहु 7.37.1 | चंदुजोओ 6.21.2| चच्चार चारु 6.20.1 | चरणकमललम्गे 4.9.1 | चरणेण वि नव 4.33.1 6.20.3 4.88.1 7.42.1 4.87.3 7.21.1 4.25.1 .5.18.2 5.22.1 5.19.3 , 1.6.3 6.20.8 4.19.1 6.21.1 6.20:12 5.4.1 6.19.25 7.3.1. 6.20.40 4.13.5 4.46.1 3.70.5 7.47.1 4.62.1 4.83.2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.090113
Book TitleChandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH D Velankar
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1961
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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