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२५८
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p.8
2.182.1
1.7.7 2.296.1 1.16.14 2.268.1 2.174.1
3.44.3 2.246.1
2.138.1
पयोनिघेरवाप्य परभृतकूजितानि परममुपशमं वर्मी परमं प्रकर्षमधि परलोकविरुद्ध परिभ्राम्यद्धृङ्गं परिमलविलुठन् परिहर नितरां परिहर बत परिहृतोत्पला परुषसान्द्रवचो पर्णपातमात्र पर्याप्तं तप्तचामी पश्यन्ति देव पश्य विविधवर पश्येद्भगवत् पश्योष्णांशोरभ्यु पाणिपादविलो पादेन हता येन पान्य श्रय दयितां पान्थाः शीघ्रं यात पापाभ्यासात् कुटिलं पीनघनोलतवृत्त पुण्यपात्रे शुद्ध पुण्यपापजल पुनर्भजेत् पुनर पुरन्ध्री सुवेशा पुरूरवोनाहुषि पुरो दिनपते पुष्करमम्बुदगर्जित पुष्पचापस्य चाप पुष्पशररम्यतनु
छन्दोऽनुशासनम् । 2.184.1 | पूर्वान्तवत्खरः (यत्यु०) 2.299.1 | प्रचुरविभवता 2.308.1 | प्रणतसुरवर 2.212.1 प्रणतसुरविसर 2.162.1 प्रणमत भवबन्ध 2.329.1 प्रणमदखिलसुर 2.366.1 प्रणयतत्परमिमं 2.143.1 प्रणयवति सखि 3.52.1 प्रतिमुहुरिह 2.76.1 | प्रत्याख्याताप्यसि 2.163.1 | प्रत्यादेशादपि च 2.81.1 प्रमुदितसमद 1.16.9
प्रवृत्तकरिविद्रवं 3.39. 1 प्रसरति तव सुभग 2.378.1 | प्रसरद्रजःस्थगित
3.6.1 प्रसृतनिबिडमारुता 2.303.1 प्रसृमरमरिनर 2.313.1 प्रस्तारो नष्टमु 3.39.4 | प्राक्तनसुकृतसमूहे 2.65.1 प्राप्ते वसन्त 2.381.1 | प्रायः पुमांसो
2.61.1 | प्रायो दुष्कृतकर्मसु 2.400.1 | प्रावृलक्ष्म्या 2.18.1 प्रासादेषु त्वदरि 2.94.1 प्रियसखि मधुं मा
8.5.2 | प्रीणिताखिलार्थि 2.12.1 | प्रोज्झ्य पुराणि त्वद्भय 2.159.1 | फलं कालाक्रान्तं
3.58.2 | फाल्गुनमासे 2.130.1 | बत चन्द्रिका 2.394.1 | बहुभिः किमाल 2.237.1 | बाला कुतोऽपि
1.16.31 3,29.1
3.58.1 2.244.1
3.7.1 2.388.2 3.28.1
8.1.1 2.343.1
3.40.1 2.156.1 2.357.1 2.199.1 2.292.1 2.312.1 2.335.1 2.372.1 2.325.1
2,25.1
3.45.1
2.176.1
4.8.4
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