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२४४ तत्कोकिलकं तत्राष्टांहावोजे चिदौ तत्संगीतं ढजैः तत्सुरक्रीडितं ठजैः तदादौ द्विगं सर्वलं तदोजे चतौ मुखात् तद्गीतिसमं जैः तदीर्घकं ढजैः तधुजोर्जः पथ्या तद्भाराक्रान्तं ठजैः तद्भुजंगविक्रान्तं ठजैः तन्मा मकरलता तन्मौक्तिकदाम ठजैः तभजल्गा उत्थापनी तभ्या रुचिरा तषताः पुष्पमाला ता गौ कामबाणः ताजगगा जतजगगा ताजल्गाः शङ्खः ताभिर्लक्ष्मिका ताराध्रुवकं ढजैः ताल्ललिता तिर्ने लयग्राहि तीः कामावतारः तीचौ मुक्तावली तुर्यानतभ्रम्सास्तद्विपुला तुर्योंऽशः पादोऽविशेषे तृतीयषष्ठयोर्दशादि तृतीयस्य तो मत्त तृतीये पञ्चमे तयोर्वा तृतीये ललिता तृतीये षष्ठे ल्युपात्
छन्दोऽनुशासनम् । 2.298 | ते द्विगुणा द्विहीनाः 5.33 | ते पिण्डिताः संख्या 7.43 | ते मिश्रे प्रवृत्तकम् 7.38 | ते यमितेऽन्तेऽडिला 3.41 ते रत्नकण्ठिके ठजैः 4.32 | तैः षचादं चीर्वा 7.10 | तो जौ ग उपस्थिता 7.52 | तो जौ गावुपस्थिता 3.34 | तो जौ ल्गौ मोटनकम् 7.35 | तो नौ ल्गौ मुख 7.28 | तौ चस्तौ विलासिनी 2.102 | तौ चितगाः खलकम्
7.19 | तौ चितौ मञ्जरी 2.148 | तौ जो गाविन्द्रवज्रा . 2.100 | गौ सोमप्रिया
7.72 | त्जसस्याः शिशुः 2.399 | नगा मधुकरिका
3.8 | भौ जौ गो अभ्रकम् 2.360 | भौ जौ गौ वसन्तः 4.82 | त्भौ जौ रो मृदङ्गः 7.29 | भौ भौ ज्भौ ल्गौ 2.175 | त्भौ स्जौ गो लक्ष्मीः 2.129 यौ तनुमध्या 2.167 | त्यो व्यौ पुष्पविचित्रा 4.46 | त्यौ भौ नीगौ हंसपदा 3.39 | त्रयल्गा विभ्रमः 1.11 त्रयोऽप्यवलम्बकः 6.15 | त्रिमिरन्यैरपि 5.19 | त्रिज्सौ गो रतिलीला 5.20 | त्रिष्टुमि भौ रो गौ 4.10 | त्रिष्वप्यन्त्यचस्य ते 4.26 |त्री नौ रस्तरंगः
8.12 8.10 3.58 5.30 7.15 6.13 2.120 2.133 2.147 2.149
4.60 4.50 4.61 2.154
2.22 2.259
2.65 2.215 2.231 2.261 2.344
2.214
2.36 2.189
2.374 5.14 4.56
. 4.89
2.326
1.127 ... 4.74 ... 2:352
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