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________________ २० सिरि भूवलय सर्वा सिद्धिसंघ बैंगलोर-दिल्ली ४६६१४६४७५१२६३०००००००००००० यह मात्रा हरेक के द्वारा आया हुआ लब्धांक है इन कुल मिलाने से ६४ आता है । ६४ को जोड़ दे तो १० होता है । भू ॥ सारतरात्मतत्यव नोडलेरळ् भाग । दारके श्ररथत्तोंदु तन्दु ॥ श्रदरद्धं माडलु बह भंगाक्षर । वदर क्रम वदितिहुनु ॥ विमलात्कारु ऐवेळ मूरेळ । समनाकळे दुनात्सूर्येरड दे ॥ श्रवतरिसिद तप्प तप्पेनलागदु । सधियंक दुपदेश मुदे म क्षणवागि इप्पत्तों बत्तक । धावल्य वदतु काणु विर ल ॥ कोविदोंक उत्पत्ति याप्तिल्लि । नववैर्दार भागवाय ल बढें तो अंतु हृदय होक्कु । हृदनागि भोग योग वनु ॥ने कोने होगिसि कर्मवकेडिसलु । श्रनुपम पंचान्गि इदेको मनुजत्वदनुभवलाभ ||२६|| घनकर्मदात्रवविल्ल ॥३०॥ जिनमुद्र हृदय होकिकह जिननाथनोप्पिदभक्ति ॥ ३३ ॥ जिन मुनिगळ ज्ञानयोग ||३४|| विनुतांतरंग विज्ञान जिननाथ अडिटमार्ग ||३७|| घन कर्म वळिव भूवलय ॥ ३८ ॥ जिनवर्धमानसाम्राज्य चा म् रित्र दंकवितिवनेल्ल कूडिद । दारियोळ बंबिहूदं दहिरतेय क्रम प्रतिलोम वा । अदरक प्ररवशनाल मना हन्मोंदु सोन्नेय निट्टु मुन्दरण मदोळ ऐरिब afaya कालक्र स वदंक बनेर परस्पर fe न डानि मंगल वृद्ध बहस गमनिस लाग ॥ तावे तप्पित वेनिल्ल । श्रवियादुत्तर दं रंगो वदंकदे बंद ₹ भृ दिन दिन दत्याशे एरलुबिडदिह । अनुपमयोगाग्ति यदतुम् धनरत्न ऐडुइंद्रिय ॥ २८ ॥ अनुभवगम्यद दृष्टि ॥३२॥ तनयरिगेल्ल सौभाग्य ॥ ३६ ॥ मनसिंहवग्रद कमल ॥४०॥ " रद संहननद आदि यादी काव्य । धरेय भव्यर भावदलि ॥ 万 दन बावु वक्रवददु । सदरदि हूविन गंध ॥ मृटु नवोळु तपदात्म योगदे तम्म । तनुवतु कृशव् ॥४३॥ वनु संख्यात बोळरिवं जिननाथनरिकेगेगम्य वनपडेदवनोव्बयोगि दिन दिन उन्नति गडव सादं कर्म भूवलय ॥५२॥ ॥ ५५॥ मनव माजिद कर्मद कगळटु । विमलात्म गुणायदे सयुतवागिऽच्चुत बरला प्रत्म होस श्रादियाद ज्ञानयद ॥ वशनोळिसुवनुपाध्यायं ॥५८॥ यशवोळिद्रियव जयिसिरुव ॥ ६१ ॥ असम मानवरग्रगण्य ॥६४॥ ॥४६॥ Н ॥४६॥ 28 11 22 व रुय प्रतिम समुद्घातयनुतोष । गुरुगळंवर दिव्य चरण श्राग ॥ जिननाथनंदद सर्व साधुगळंक । दनुभव साधुसमाधि घननं तांकोळरिय धनदुष्कर्म दावाग्नि ॥४४॥ घन शिव सौख्यद पडेव धनशुद्धोपयोगियवं 11 वनुप्रसंख्यातदोळरिव तनुमनवचनातीत ॥४७॥ विनुत वैभव शालि अज्ज नगृह्य् वेल्लवनरिव ॥५॥ ॥५३॥ मु रुळि ॥ गमकद कलेयन्तेऽच्चत बहवाग । तमगल्लि उपदेश शक्ति शियोळ, पड़ेद, दहगलुख न द ल्लगे । वशागोळिसुघव पालकन रस दूध उणि सुबनाये (चार्य) ॥५६॥ यशद े भूवलयवनलेव ॥६०॥ होसब नागेसेव भ्रुबलय ॥६२॥ हसियनोड़िसिद महात्मा ॥ ६३ ॥ हो सेबु पेळुव द्वादशांग असदृश समतेय वेळ व ॥६६॥ ॥६५॥ ॥२०॥ २५॥ ॥२२॥ ।।२३।। ।। २४ ।। ।। २५ ।। ॥२६॥ ॥२७॥ ॥३१॥ ।। ३५ ।। ॥३६॥ ।। ४१ ।। ॥४२॥ ४५।। ॥४८॥ ।। ५५॥ ।। ५४ ।। ॥ ५६ ॥ ।। ५७॥
SR No.090109
Book TitleSiri Bhuvalay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvalay Prakashan Samiti Delhi
PublisherBhuvalay Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Principle
File Size10 MB
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