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देशभूषण मुद्रणालय के समस्त कर्मचारी गए तथा उसके प्रबन्धक श्रीचन्द जी जैन ने विशेष प्रयत्न किया है जिसके लिए हम उनके प्रभारी हैं । अन्त में हम आचार्य श्री के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आचार्य श्री के ही सतत प्रयत्नों तथा लगन के फलस्वरूप आज हम इस महान ग्रन्थ को प्रकाशित करते हुए अपने को धन्य मान रहे हैं। हमें स्वर्गीय श्री यल्लप्पा शास्त्री के दोनों पुत्र श्री धर्मपाल तथा शान्तिकुमार के सहयोग की भी हम हैं प्राचार्य श्री के आशीर्वाद के अभिलाषी---- अजितप्रसाद जैन ठेकेदार ।
महताबसिंह जैन बी० ए० एल० एल० बी० ।
प्रवराज श्री भूवलय जैन मित्र मण्डल,
अत्यन्त आवश्यकता है तथा हमें विश्वास है कि वे भी अपने पूज्य पिता की भांति इस कार्य में सहयोग देते रहेंगे। अन्त में हमारा समस्त जैन समाज से निवेदन है कि वह इस कार्य में हमें अपना पूर्ण सहयोग तन-मन-धन से दें । इस ग्रन्थ के प्रकाशन से जन संस्कृति की प्राचीनता तथा उसका महत्व संसार में सूर्य के समान प्रसारित होगा ।
सभापति मन्त्री
मन्त्री आदीश्वरप्रसाद जैन एम० ए० ।
पन्नालाल (तेज अखबार ) ।
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प्रकाशन समिति धर्मपुरा देहली ।