SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाररूपा पाप ऋषिगळ् अध्यात्म योग साम्राज्यये । वशवाद श्री भद्ररा शिर ॥ रसवस्तुत्यागद सम यमदिम् बन्द । यशसिद्ध काव्य भूवलय ॥१॥ एस रिद ध्यानानियारयकेयोळु बन्द । शूर दिगम्बरर नव व* मूरु कुन्दिद कोटियक्षरदन्कद । सारात्म सिख भूवलय ॥२॥ व रद सम्हनन व्यवहार नयवाद । परिय निश्चय नय म दुवे ।। सर मागेर्दाग शुद्धत्व सिद्धिय । परमात्मनन्ग भूवलय ॥३॥ मा दिय सम्हननवु व्यवहारदासाधने निश्चय नयव ॥ साधिप स# वसमययदि मंगल काव्य । दोदिनिम् बन्द भूवलय ॥४॥ पर जन्मदान्तवाविय शुभ कर्म । विश्वष्टु सुखवनु तु मबि । सरुव पुण्योदय हदिनेन्दु श्रेणियु। बरबेकेन्देनुव भूवलय ॥५॥ उरदवरन्ग रक्षणयु ॥६॥ नजन्मदन्त्य शरीर ॥७॥ एरडने चरम शरीर ॥॥ बरगळ सम्बळ काव्य ॥ उरद सन्मौजिय बंध ॥१०॥ गरुव शरी गुरुवर काव्य ॥१२॥ परसराळिद गन्ग वमश ॥१२॥ रसोत्तिगेय वर मन्त्र ।।१३॥ एरडूवरेय द्वीपदन्द ॥१४॥ गुरुव गोटिंगरेल्लरन्द ॥१॥ अरमनेयो पूर्ण ग्रहबू ॥१६॥ न कुरिगळ अन्दळिद ॥१७॥ इरुवेगळन्टद सिहिषु ॥१॥ ब्रेयोदगलु यवनान्ग ॥१६॥ अरसुगळाळ्द कळवप्पु ॥२०॥ मरेतिह अध्यात्म राज्य ॥२१॥ अरवट्टिगेय तवरूर ॥२२॥ ददनादनुभव काव्य ॥२३॥ प्रबारणगळ तीक्षण मदुल ॥२४॥ अरमने गुरुमनेयोमदु ॥२५॥ इ* बुरिद्धि सिद्धिगे प्रादिनाथरु' पेळ्द । धव 'अजितर' गटुगे' स* वि।। नव वाहनगळु एत्तु प्रानेगळे 'मुनवकारस वृदिनिम् स्यादा॥२६॥ ए, वेल्हार 'द लागवति गायन सुपर पेळ बध र* उ॥ सावय सदिमतहहा[१] सर्वार्थसारावयवद धनवाब ॥२७॥ तर रतर 'मान गलिकद' सर्वकार्यद' । सरद 'पादियलि' सर्व व रु। अरुहरु कुदुरेय तन्दु सेविसुवरु । 'मरहन्त सर्व मशगलद' ॥२८॥ ई* तेरनाम 'मङगळमम[२] हाराडुब' ख्यातिय 'मनवअनु' नते ज* या नूतान् ‘कटिट्टरतेनेरदिकपियाख्यात 'लांछनथु' हारव'द ॥२६॥ रेश णुकादेविय' 'स्यावयादमुद्रयिम् तारादि'कट्टिदर् सार'। दाए ग* सर्व स्ववापिरिसि' [३] द अंक । क्षोणिय अतिशय धवल ॥३०॥ अणुवनु 'स्वस्ति श्रीम' न्तम ॥३॥ तत्निया 'द्राय राजगुरु' ॥३२॥ वनगे 'भूमण्डला थिपरु ॥३३॥ इनवम्शझा 'चार्यरु'ए ॥३४॥ नअनगे 'एकत्वभाव' नेय ॥३५॥ इणुकुब अणु'नाभावितरुम्॥३६॥ झन् 'उभयनम्' समग्ररुम श्री ॥३७॥ अनुदिन त्रिगुरित गुप्तरुमच॥३८॥ यअनुवन् 'तुकरिया रहित ॥३६॥ आनन्द 'रुम् पञ्च व्रत ॥४०॥ यअनुव 'समेतरुम् सप्त' ॥४१॥ र्ण 'तत्व सरोजिनी रा' ज ॥४२॥ अनु 'जहम् सरुम अष्टमद' द ॥४३॥ पनिय 'भंअनतम् नववि' ॥४४॥ ळनवि 'धमाल ब्रह्मचर्या ॥४५।। अनुव 'लन्कतरुम देश' बद ॥४६॥ गनवु 'धर्म समेतरुम द्वा' ॥४७॥ ननेव वशान्ग शात' धरर् ॥४॥ अनुव 'पारावाररुम' शो ॥४६॥ मन 'चतुर्दश पूर्वादिगळुम' ॥५०॥ प* व 'दीप्ति तेजव नात्म चक्रदोळ्' तानु । मिदु 'बेळगुव गुप्ति' ता* बम् ।। अदर 'त्रयव पालिसुतसुप्तवादात्मानुदित'तत्ववसुत्तुतलिह॥११॥ चु* रिते 'गुप्तिय चक्र कोकयहि [४]सिर्दाग। वर'गवराशिलेक्क' म* दा लिरुवु'दंकगळ तन्नोळगिट्टु'नव नमो दिरियिरि'दयमूवृदुगंध'॥५२॥
SR No.090109
Book TitleSiri Bhuvalay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvalay Prakashan Samiti Delhi
PublisherBhuvalay Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Principle
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy