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सिरि भूवलय
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(झूठे पद अपनी तरफ से मिलाना) मिलाए हैं। कुमुदेन्दु जी के मतानुसार इस ग्रन्थ में लगभग एक से ८ या १० गीता के पद हैं जिनको पांच भाषाओं में समझ सकते हैं । नेमो तीर्थंकर के गोमट्ट को अनादि गोता, कृष्ण की गीता, म्यास की गीता जोकि अपने मौलिक रूप में व्याख्यान के नाम से महाभारत में पाई जाती है और कन्नड़ भाषा में कुमुदेन्दु जी की गीता है। इस ग्रन्थ में गीता की पैशाची भाषा में भी प्रालोचना मिलती है और बाल्मीकी राम के मौलिक पद भी इसमें पाए जाते हैं। भागे ऋगवेद के तीन पद ( एक गायत्री मन्त्र से प्रारम्भ, तथा दो अन्य) भी इस ग्रन्थ के अध्यायों में पाये बाते हैं । भारतीय सभ्यता को पढ़ने और पहचाने के लिए ये तीन पद ही ऋगवेद के प्रमुख है ।
( ९ ) भारतीय सभ्यता के अध्ययन के लिए इस मनोरंजक ज्ञान के अतिरिक्त भूवलय में कुछ निम्नलिखित जैन ग्रन्थों के शुद्ध पद मिलते हैंभूतबाली का सूत्र, उमास्वामी, समन्त भद्र का मंदहस्थी महाभाष्य, देवगामा स्तोत्र, रत्नकरंड श्रावकाचार, भरत स्वयंभू स्तोत्र, चूडामणी, समयसार, कुन्दकुन्द का प्रवचन सार, सर्वार्थ सिद्धि पूज्यपाद का हितोपदेश, उर्गदित्या का कल्याणकरिका, प्राकेवरी स्तोत्र, मंत्रवम्भर स्तोत्र, ऋषिमंडल, कुछ तांत्रिक अंग और अंग बाहिरा कानून, कुछ पारिभाषिक ग्रन्थ जैसे सूर्य प्रान्नेपति, त्रिलोक "प्राग्नेपति, अम्बू द्वीप प्राग्नेपति श्रादि ।
(१०) यह ग्रन्थ १८ बड़ी भाषाएँ और ७०० छोटी-छोटी भाषाओं को निहित किये हुये है । इस ग्रन्थ में जो भाषाएँ हैं उनमें कुछ प्राकृत संस्कृत, द्रविड, प्रांध्र, महाराष्ट्र, मलाया, गुजराती, हम्मीरा, तिब्बती, यवन, बोलिदी, 'ब्राह्मी, खरोष्टी, अपभ्रंश, पेशाची, अरिस्ता, अर्धमागधी टर्की, संघव, देवनागरी, पारसी आदि हैं। जितना यह ग्रन्थ छपा है उसमें से संस्कृत, विभिन्न प्राकृत, कनड़, तामिल, तेलगू को बड़ी श्रासानी से पहचाना जा सकता है। यदि इस विषय पर अनेकों विद्वान गंभीर अध्ययन करें तो इससे और भी अनेकों भाषाएँ और उनके शब्द प्राप्त हो सकते हैं। इसलिए भाषा विज्ञान के विषय में भी यह एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है ।
सर्वाध सिद्धि संघ चैपलौर - दिल्ली
सौभाग्य से इस सम्पूर्ण ग्रन्थ को माइक्रो फिल्म ( Micro Filmed ) कर लिया है और यह नई दिल्ली के राष्ट्रीय ग्रन्थ रक्षा गृह में राष्ट्रपति डा० राजेन्द्र प्रसाद जी के अधिकार में रखा हुआ है। और इसकी कुछ हस्तलिखित प्रतियां भी राष्ट्रकूट राजकुमार मल्लिका के नेतृत्व और सहायता से की गई थीं अब वे छानबीन द्वारा सिद्ध की जाएंगी। बड़े-बड़े विद्वान और मुनि इस हस्तलिखित प्रतियों की ओर विशेष ध्यान दे रहे हैं।
इस ग्रन्थ में कुछ इस प्रकार की विद्या भी है जिससे कुछ ऐसे नम्बरों का पता लगता है जिनको कि यदि अक्षरों में लिखा जाए तो वह प्रश्न हो उस का उत्तर बन जाता है। किसी प्रश्न का उसके उत्तर में बदल जाना गणित शास्त्र का ही नियम है जोकि अभी पूर्ण रूप से विदित नहीं हुआ है। एक बार ओटी (Outy) के कोफोप्लेटर के किए गए प्रश्न के उत्तरमें ३०० ब्राह्मी पटपदी कविता बन गई थी।
मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जोकि अपने भूत और भविष्य के विषय में सोचता ही रहता है । अपने हृदय में यदि वह कोई इच्छा न रखे तो उसका जीवन शून्य ही माना जाता है। लेकिन व्यक्ति जो कुछ भी अच्छा या बुरा सोचता है । यह उन सभी को कार्य रूप में परिणित नहीं कर सकता। और न ही वह इतना पराधीन भी है कि वह अपने विषय में सोच भी न सके। जिनका कुछ ऐसे नियम कर्म, ईश्वर के नाम पर बने है मनुष्य पालन करता है ।
यदि 'श्री भुवलय' को व्यक्ति ठीक समझले और कुछ पाना चाहे तो मनुष्य की कल्पना, ज्ञान बढ़ना जरूरी है। 'भूवलय' ज्ञान का भंडार है ।
कुछ समय पहले मैंने यह ग्रन्थ शिक्षामंत्री श्री ए० जी० रामचन्द्र राव को दिखाया व बताया था ! उन्होंने कुछ आर्थिक सहायता और सरकारी कार्य की सहायता शीघ्रातिशोध देने का वचन दिया था ।
अन्त में, यदि मैसूर के रायल हाउस को पूर्ण सहायता भी मिलती रहे तो यह कन्नड़ ग्रन्थ ( कुमुदेन्दु जौ का भूवलय) राष्ट्र के लाभ के लिए छप सकेगा ।