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गुणस्थान | भाव व्युच्छित्ति भाव । अभाव अविरत {4} {कृष्ण, | 32} {औपशमिक (6) {कुमति, कुश्रुत
नील, कापोत, सम्यक्त्व, |कुअवधि ज्ञान,लेश्या, क्षायोपशमिक
संयमासंयम, मिथ्यात्व, असंयम) सम्यक्त्व, मति,
अमव्यत्व श्रुत, अवधिज्ञान, चक्षु, अचक्षु, अवधिदर्शन, क्षायोपशमिक पाँच लब्धि, तिर्यञ्चगति, क्रोध,मान, माया, लोभ,तीन लिंग, लेश्या 6, असंयम, अशान, असिद्धत्व, जीवत्व, भव्यत्व
देशविरत ) {29 औपशामिक ) कुमति, कुश्रुत, (संयमासंयम, सम्यक्त्व,
कुअवधि ज्ञान,कृष्ण, नील तिथंच गति) क्षायोपशमिक कापोत, लेश्या असंयम,
सम्यक्त्व, मति, श्रुत, मिथ्यात्व, अभव्यत्व) अवधि शान चक्षु, अचा, अवधि दर्शन, झायोपशमिक पाँच लम्धि, संयमासंयम, तिर्यच गति, कोष, मान माया लोभ, स्त्रीलिंग, पुल्लिंग, नपुंसक लिंग, पीत पदम, शुक्ल लेश्या अर्सयम, असिद्धत्व,जीवत्व, भव्यत्व
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