________________
भाव
मुणस्थान भाव व्युच्छिति
अभाव 12. क्षीण (1) [चार (20) {क्षायिक | (33) (औपशमिक मोह ज्ञान, तीन सम्यक्त्व, सायिक | सम्यक्त्व, औपशमिक
दर्शन, चारिख, मति, श्रुत, |चारित्र, क्षायिक पाँच झायोपशमिक, अवधि, मनः पर्यय ज्ञान लब्धि, केवलज्ञान, पांच लब्धि, चक्षु, अचक्षु, अवधि । | केवलदर्शन, कुमति, अज्ञान] दर्शन, क्षायोपशमिक |कुशुत, कुअवधि ज्ञान,
पाँच लन्धि, |क्षायोपशमिक सम्यक्त्व, मनुष्यगति, |सराग चारित्र, संयमाशुक्ललेश्या, अज्ञान संयम, तिर्यञ्च, नरक, असिद्धत्व, जीवत्व, | देव गति, कृष्ण, नील, भव्यत्व
कापोत, पीत, पद्म लेश्या, तीन लिंग, चार | कपाय, असंयम मिथ्यात्व, अभव्यत्व)
13. सयोम (1) |(14) {क्षायिक | (39) {औपशमिक केवली शुक्ल लेश्या सम्यक्त्व, क्षायिक सम्यक्त्व, औपशमिक
चारित्र, शायिक पाँच चारित्र, मति आदि चार लब्धि, केवलज्ञान, | शान, तीन दर्शन,
। केवलदर्शन, मनुष्य ]क्षायोपशमिक पाँच मति, असिद्धत्व, शुक्ल | लब्धि, तीनकुजान, लेश्या,लीवत्व, मध्यत्व झायोपशमिक सम्यक्त्व,
सराग चारित्र, संयमासंयम, तिर्यम्च, नरक, देव गति कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म लेश्या, तीन लिम, चार कषाय, अज्ञान, मिथ्यात्व, | असंयम, अभव्यत्व
(28)