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________________ २०८ भाव-संग्रह आठ देवियों का लिख | सोलह कमलों में मंत्र सहित सोलह विद्या देवियों को लिखे, चौबीस कमलों में चौवीस यक्षियों को लिखे, वत्तीम कमलो में बत्तीस इन्द्रों को लिखे । इन सबको अपने अपने मंत्र सहित लिखना चाहिये । इस प्रकार सात रेखाओं से बेष्टित करना चाहिये तथा सातों हो देवा व रहित होनी चाहिये । चारों ओर चार द्वार करना चाहिये | बाहर प्रत्येक दिशा में छह छह यक्षों का निवेश करना चाहिये । इस प्रकार इस यंत्र का उद्धार करना चाहिये । ३१ ओं नहीं अच्युतेन्द्राय स्वाहा ३२ इस प्रकार बत्तीस दल कमल को भर देना चाहिये । तदनंतर चारो दिशाओं के चारों द्वारों के ओर लिखे हुए चौबीस वज्रों मे गोमुख आदि चोवीसो यक्षों को बेद शक्ति बीज सहित होमांत लिखना चाहिये । इन सबका पूर्व दिशा से प्रारंभ कर पश्चिम की ओर होते हुए अनुक्रम से लिखना चाहिये । इस प्रकार एक एक दिशा में छह छह यक्ष लिखना चाहिये । यथा ओं न्हीं गोमुखाय स्वाहा १ ओं नहीं महायज्ञाय स्वाहा २ ओं ही त्रिमुखाय स्वाहा ३ ओं नहीं यज्ञेश्वराय स्वाहा ४ ओं नहीं बुरखे स्वाहा ५ ओं न्हीं कुसुमाय स्वाहा ६ ओं न्हीं बरंनंदिने स्वाहा ७ ओं न्हीं विजयाय स्वाहा ८ ओं नहीं अजिताय स्वाहा ५ ओं नहीं ब्रह्मेश्वराय स्वाहा १० ओं न्हीं कुमाराय स्वाहा ११ औं न्हीं पण्मुखाय स्वाहा १२ ओ हीं पाताळाय स्वाहा १२ ओं नहीं कराव स्वाहा १४ ओं नहीं ऋिपुरुषाय स्वाहा १५ ओं नहीं गरुडाय स्वाहा १६ आम्ही गंधर्वाय स्वाहा १७ ओं नहीं महेंन्द्राय स्वाहा १८ ओं न्हीं कुवे राय स्वाहा १९ ओं नहीं रुद्राय स्वाहा २० ओं नहीं विद्युत्प्रभाय स्वाहा २१ ओ नहीं सर्वाल्हाय स्वाहा २२ ओं नहीं घरणेन्द्राय स्वाहा २३ ओं नहीं मातंगाय स्वाहा २४ इस प्रकार चारों दिशाओं में चौबीस यक्षों को लिखना चाहिये । तदनंतर पूर्वादिक चारों दिशाओं में तथा चारों विदिशाओं में तथा पूर्व और पश्चिम में प्रणव माया बीज आदि होमांतयुक्त इन्द्रादिक दशदिक्पालों की स्थापन करना चाहिये । तथा ओं नहीं इन्द्राय स्वाहा
SR No.090104
Book TitleBhav Sangrah
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorLalaram Shastri
PublisherHiralal Maneklal Gandhi Solapur
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size9 MB
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